USA News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से नाटो गुट के अपने सहयोगियों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका उन नाटो सहयोगियों की रक्षा नहीं कर सकता, जिन्होंने रक्षा खर्च में पर्याप्त योगदान नहीं दिया है. उन्होंने ये बात गुरुवार ( 6 मार्च) को वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में कही.
डोनाल्ड ट्रंप काफी समय से कह रहे हैं कि अमेरिका के मुकाबले नाटो के बाकी सदस्यों का रक्षा खर्च काफी कम है. इसका असर अमेरिका पड़ रहा है, जिस वजह से ट्रंप नाराज हैं. वो कई बार अमेरिका को नाटो से बाहर करने के भी संकेत भी दे चुके हैं. उनके इस रुख से नाटो के भविष्य को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने कही ये बात
ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने टो सहयोगियों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई. उन्होंने कहा, 'यदि आप भुगतान नहीं करेंगे, तो हम बचाव नहीं करेंगे. मैंने यह बात सात वर्ष पहले कही थी और इसके कारण उन्होंने सैकड़ों अरब डॉलर का भुगतान किया.' इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ नाटो सदस्यों ने रक्षा खर्च बढ़ाया है लेकिन यह काफी नहीं है.
ट्रंप लंबे समय से नाटो सहयोगियों पर रक्षा पर अधिक खर्च करने का दबाव बनाते रहे हैं. उनका तर्क है कि अमेरिका अन्य सदस्यों की तुलना में अधिक भारी बोझ उठाता है. नाटो के प्रत्येक सदस्य से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का दो प्रतिशत रक्षा पर खर्च करें, लेकिन ट्रंप ने इस लक्ष्य को बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने पर जोर दिया है.
जानें क्या है नाटो
नाटो (NATO - North Atlantic Treaty Organization) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन है, जो एक सैन्य गठबंधन है. इसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका में हुई थी. इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की सामूहिक रक्षा सुनिश्चित करना है, यानी अगर किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है, तो उसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा. इसमें अभी तक 32 देश हैं.