नई दिल्ली: आतंकी फंडिंग के मामले में कल ग्लोबल आतंकी हाफिज सईद को पाकिस्तान के गुजरांवाला में गिरफ्तार किया गया. पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट ने हाफिज की गिरफ्तारी 2009 के टेरर फंडिंग के मामले में की है. 3 जुलाई को काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट ने 23 एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में हाफिज समेत जमात-उद-दावा के 13 आतंकियों के नाम थे. हाफिज पर अल-अंफाल, दावत-उल-इरशाद, मुआज-बिन-जबल संस्थाओं के नाम पर आतंकी फंडिंग का आरोप है.
जानकार हाफिज सईद की गिरफ्तारी को आतंक के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान की एक और साज़िश बता रहे हैं. भारत और अमेरिका के दवाब में पाकिस्तान का ये एक्शन भी एक दिखावा ही लग रहा है क्योंकि कल गुजरांवाला की अदालत में पेशी के वक्त हाफिज को ऐसी सुरक्षा दी गई जैसी पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को दी जाती है. इसमें कोई शक नहीं कि हाफिज सईद की गिरफ्तार कूटनीतक दबाव का नतीजा है. लेकिन इतने लाव-लश्कर के साथ कोर्ट परिसर में एक आतंकवादी का चलना पाकिस्तान और इमरान सरकार की नीयत से पर्दा उठा देता है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की बुधवार को गिरफ्तारी का स्वागत किया और कहा कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड को तलाशने के लिए पाकिस्तान पर ‘भारी दवाब’ डाला गया था. ट्रंप ने ट्वीट किया,‘‘10 वर्ष की तलाश के बाद मुंबई आतंकवादी हमले के तथाकथित ‘मास्टरमाइंड’ को पाकिस्तान में पकड़ा गया. उसे तलाशने के लिए पिछले दो सालों में भारी दबाव डाला गया था.’’
हाफिज की गिरफ्तारी के दिखावे के पीछे दो बड़ी वजहें मानी जा रही हैं. पहली वजह है फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स FATF जिसकी ग्रे-लिस्ट में पाकिस्तान है और अक्टूबर की बैठक में उस पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा है. दूसरी और सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है वो यह है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की इसी महीने 22 तारीख को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं.