अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों मुश्किल में हैं लेकिन लगता है उन्होंने इस मौके का भी जितना फायदा उठाया जा सकता है उतना उठाने का विचार कर लिया है. ट्रंप ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर एक खास तरह की रणनीति बनाई है, जिसका इस्तेमाल वह आने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए कर रहे हैं.
दरअसल, ट्रंप का ये पूरा मामला मीडिया के लिए एक बड़े इवेंट की तरह हो गया है. पूर्व राष्ट्रपति ने कोर्ट पहुंचने से पहले ही अपनी यात्रा की पूरी जानकारी मीडिया को दे दी थी. सिर्फ इतना ही नहीं, उनकी वेबसाइट पर एक टी शर्ट लॉन्च की गई है, जिसमें लिखा है 'Not Guilty' यानी 'मैं दोषी नहीं हूं'.
ट्रंप के कोर्ट पहुंचने के बाद उनके समर्थकों ने इस टीशर्ट को खरीदना शुरू किया. उनके कार्यालय की मानें तो उन्होंने ऐसा कर सिर्फ एक दिन में ही 7 मिलियन डॉलर जमा कर लिए.
पिछले कुछ दिनों से ट्रंप अमेरिकी टीवी नेटवर्क पर इतना हावी रहे है कि अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रपति जो बिडेन के भाषण को भी बैकग्राउंड में डाल दिया गया.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में जो लोग जानते हैं उन्हें यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि वह अपनी मार्केटिंग के लिए कुछ भी कर सकते हैं और उन्होंने इस मौके को इवेंट बनाकर ये साबित भी कर दिया है कि वह साल 2024 में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं.
इस बीच सवाल उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप की गिरफ्तारी के क्या हैं भारत समेत पूरी दुनिया के लिए मायने? क्यों अब ये बनेगा मुसीबत की जड़?
1. इतिहास में पहली बार पूर्व राष्ट्रपति गिरफ्तार
अमेरिका में 1804 में चुनावों की शुरुआत हुई. यह देश विश्व का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश माना जाता है. वहीं भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लेकिन इतने सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति या वर्तमान राष्ट्रपति की गिरफ्तारी हुई. ट्रंप ने गिरफ्तारी से पहले दावा किया कि साल 2024 में वह फिर सत्ता में लौटेंगे.
उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा, ' विश्वास नहीं हो रहा कि अमेरिका में यह सब हो रहा है. वहीं ट्रंप पर अभी भी उसके समर्थक विश्वास करते हैं. 34 गंभीर आपराधिक आरोपों को स्वाकार्य नहीं करने के बाद ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन पर निशाना साधते हुए कहा कि “हंटर बिडेन का लैपटॉप ही बिडेन परिवार के अपराधों को सामने लाने के लिए काफी है.”
मंगलवार को कोर्ट में उनकी पेश की दौरान मैनहेट्टन की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. कारण था कि सैकड़ों की संख्या में ट्रंप समर्थक शहर में जमा हो गए थे. ट्रंप का बयान, अदालत जाने के पूरे यात्रा का प्रचार करना और समर्थकों का सैकड़ों संख्या में जमा हो जाना.
ऐसा अमेरिका पहले कभी कभी नहीं देखा गया. ट्रंप ने वहां की जनता पर ऐसी छाप छोड़ी कि सबको लगता है कि ट्रंप को फंसाया जा रहा है.
2. अमेरिका का वर्तमान परिदृश्य दिलाता है ब्राजील पाकिस्तान की याद
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गिरफ्तारी से लेकर साल 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए फंडिंग जुटाना. ये घटनाएं अमेरिका के लिए जितनी ऐतिहासिक है उतनी ही नाटकीय भी.
दुनिया भर में 'लोकतंत्र का ध्वजवाहक' बनने के लिए उतावले अमेरिका में ऐसा होते देखना भी हैरान कर देने वाला है. अमेरिका में लोकतंत्र को लेकर बहस तेज है, यह ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक होती जा रही है.
सत्ता पाने के लिए साम दाम दंड भेद अपनाने की ये घटना ब्राजील और पाकिस्तान की याद दिला जा रहा है, जहां सत्ता जाने के बाद भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उसे दोबारा हथियाने के लिए जोर लगाते हैं. जैसे इमरान अभी भी सत्ता वापसी के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं और उधर बोल्सोनारो भी ब्राजील में सत्ता वापसी के लिए सारे पैंतरे आजमाने की कोशिश में लगा है.
3. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
अगर इस तरह अमेरिका में अव्यवस्था फैलेगी तो देश को संभालना मुश्किल हो जाएगा और अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा तो दुनिया पर भी पड़ेगा. ग्लोबल इकोनॉमी के लिए 2023 ऐसे भी मुश्किल रहने वाला है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने पहले ही अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी के संकेत दे दिए हैं. इस बीच अगर अमेरिका में अव्यवस्था फैलती है तो उसका साफ इस देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भारत से रिश्ते
अमेरिकी राजनीति पर नजर रखने वाले प्रोफेसर आलोक दत्ता ने एबीपी से कहा कि भारत के लिहाज से देखें तो ट्रंप-बिडेन से बेहतर राष्ट्रपति साबित हो सकते होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिकी संबंधों को नई दिशा मिली.
ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंधों को ज्यादा मजबूत किए हैं. ऐसा द्विपक्षीय मामलों में ही नहीं बल्कि कई वैश्विक मामलों पर भी ट्रंप ने भारत का साथ दिया है. उदाहरण के तौर पर चीन का मुद्दा ही ले लीजिए. राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन को लेकर सख्त रुख अपनाया था. इतना ही नहीं, कई बार वैश्विक मंच पर अमेरिका भारत का मजबूती से साथ दिया था.
वहीं बिडेन के बात करें तो उनके कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के संबंधों में कुछ नया नहीं हुआ है. राष्ट्रपति के कार्यकाल के पहले बिडेन ने साल 2009 से लेकर 2017 तक अमेरिका के उपराष्ट्रपति का अहम पद संभाला था. इस दौरान भी भारत-अमेरिका के संबंधों को वो मजबूती नहीं मिल थी, जो ट्रंप के कार्यकाल के दौर में मिली है.
भारत की क्या होगी मुश्किल
विश्लेषकों का मानना है कि रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों का झुकाव भारत की तरफ ज्यादा रहता है. लेकिन ऐसा कहना भी पूरी तरह सही नहीं है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से भारत का साथ जिन दो राष्ट्रपतियों ने दिया वह हैं जॉन एफ केनेडी और जॉर्ज डब्ल्यू बुश. जॉन एफ केनेडी 1960 के दशक में राष्ट्रपति थे तो वही जॉर्ज डब्ल्यू बुश 2000 के दशक में.
केनेडी जहां नियो-कंजरवेटिव रिपब्लिकन थे, वहीं बुश डेमोक्रेट. दोनों ने इस रिश्तों को नई ऊंचाइयां दीं. खासकर केनेडी ने चीन के खिलाफ भारत का समर्थन किया. हालांकि, कई मौकों पर भारत को झटका भी मिला.
अब बात करें डोनाल्ड ट्रंप की तो उन्हें भी कई फैसले ऐसे लिए जो भारत के हित में नहीं थे. इन में से एक था डोनाल्ड ट्रंप का कश्मीर पर दिया बयान. दरअसल साल 2019 में व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ हुए मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि था कि भारत मध्यस्थता के लिए तैयार है, साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें मध्यस्थता करने को कहा था. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ये बयान देकर खुद ही फंस गए क्योंकि पहले भारत ने इस बयान को गलत बताया और बाद में कई अमेरिकी सांसदों की तरफ से भी ट्रंप की आलोचना की गई.
रूस मामले में कौन फायदेमंद
पिछले एक साल से हो रहे रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान कई देश रूस के खिलाफ हो गए हैं. लेकिन भारत इस बीच भी अपनी दोस्ती निभाता रहा है. भारत ने साफ कर दिया कि वो रूस के साथ रहेंगे. ऐसे में अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका का राष्ट्रपति होते तो भारत से रिश्ते खराब हो सकते थे. लेकिन बिडेन डिप्लोमेसी की वकालत करते हैं.
ट्रेड के लिए कौन फायदेमंद?
ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका के साथ व्यापार के रिश्ते को लेकर भारत में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला . अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ने से ट्रंप ने विरोध जताया था और भारतीय प्रोडक्ट पर भी टैरिफ बढ़ा दिया था.
एक तरफ जहां ट्रंप अपने काम को दिखाने की कोशिश करते हैं और सामने से विरोध करते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ बिडेन के राज में रणनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे सुधारा जाता है.
क्या है पूरा मामला
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीते मंगलवार यानी 4 अप्रैल को मैनहट्टन की कोर्ट में पेश हुए. उनकी पेशी के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अब इस पूरे मामले की दुनियाभर में चर्चा हो रही है. समझते हैं कि आखिर पेशी के दिन क्या हुआ और किन अपराधों में डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट में पेश होना पड़ा.
पेशी के दिन दौरान क्या हुआ
मंगलवार को मैनहेट्टन कोर्ट पहुंचते ही डोनाल्ड ट्रंप को हिरासत में ले लिया गया. ज्यूरी ने ट्रंप पर 34 आरोप लगाए. हालांकि डोनाल्ड ट्रंप खुद को बेकसूर बताते रहें. सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने ट्रंप पर 1.22 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया. इन जुर्माने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए गए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप पर क्या आरोप लगाया गया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पॉर्न एक्ट्रेस स्टॉर्मी डेनियल्स को मुंह बंद रखने के लिए 1,30,000 डॉलर देने का आरोप है. इन पैसों को ट्रंप ने अपने वकील माइकल कोहेन के जरिए स्टॉर्मी डेनियल्स तक पहुंचाए थे.
पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के इंटरव्यू के अनुसार इस मामले की शुरुआत जुलाई, 2006 में हुई थी. उस वक्त ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने की दिशा में गंभीर प्रयास शुरू नहीं किए थे.
पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के दावे के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप से उनकी मुलाकात कैलिफोर्निया और नेवादा के बीच स्थित तोहे झील में होने वाले चैरिटी गोल्फ टूर्नामेंट के दौरान हुई. पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स ने साल 2011 में दिए एक इंटरव्यू 'इन टच वीकली' में कहा था कि ट्रंप ने उन्हें डिनर के लिए बुलाया था वह उनके होटल रूम में मिलने गईं.
हालांकि इस इंटरव्यू को साल 2011 में दिया गया था, लेकिन इसे 2018 में जारी किया गया. पार्न स्टार का पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साल ने साल 2006 में उनके साथ संबंध बनाए थे. और किसी को नहीं बताने या अपना मूंह बंद रखने के लिए ट्रंप ने पॉर्न स्टार को पैसे भी दिए थे.
क्या पैसे देना गैर कानूनी था?
वैसे देखा जाए तो उनका ये भुगतान अवैध नहीं था. लेकिन जब ट्रंप ने अपने वकील कोहेन को पैसे दिए तो उसे लीगल फीस के रूप में दर्ज कर दिया. न्यूयार्क प्रशासन के वकीलों की माने तो, यह ट्रंप की ओर से अपने दस्तावेज़ों के साथ हेरफेर करने का मामला है जो कि न्यूयॉर्क में एक आपराधिक कृत्य है.
चुनाव अभियान के लिए जुटाए जा रहे पैसे
इस पूरे मामले के बीच खास बात ये है कि डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक साल 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लेकर फंडिंग जुटा रहे हैं. ट्रंप समर्थन एक अभियान चला रहे हैं, जिससे पिछले सप्ताह 12 मिलियन डॉलर से ज्यादा पैसे जुटाए गए.
दरअसल ट्रंप के सहयोगियों ने उनकी गिरफ्तारी के दौरान एक मेल जारी किया जिसमें लिखा था Not Guilty। क्या आप राष्ट्रपति ट्रंप के साथ खड़े हैं? कृपया 2024 का राष्ट्रपति चुनाव जीतने में 47 डॉलर या उससे ज्यादा का योगदान दीजिए और हम आपको "नॉट गिल्टी" टी-शर्ट मुफ्त में भेजेंगे.
डेमोक्रेट क्यों चुप है
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर जब पहली बार पोस्ट किया कि उन पर आपराधिक आरोप लगाए जा सकते हैं, उस वक्त से ही रिपब्लिकन पार्टी के नेता उनके बचाव में मजबूती से खड़े हैं. इस मामले में माना जा रहा है कि आगे भी रिपब्लिकन पार्टी एकजुट बने रहेंगे.
वहीं दूसरी तरफ डेमोक्रेट सांसदों ने अब तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है. राष्ट्रपति जो बिडेन का इशारा पाकर इस मुकदमे के बारे में शांत हैं. इस पूरे मामले में वे चुप्पी साधना भी चाहेंगे क्योंकि उनके उलझने से पूर्व राष्ट्रपति के राजनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचाने की बजाए रिपब्लिकन पार्टी को अपनी लामबंदी मजबूत करने का मौका मिल जाएगा.