वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने का निर्णय उनके घरेलू राजनीतिक आधार के लिए तो अच्छा हो सकता है लेकिन यह बड़ा जोखिम है. इससे अशांत मध्यपूर्व में शांति प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है. यह चेतावनी गुरुवार को शीर्ष अमेरिकी मीडिया घरानों ने दी.


राष्ट्रपति ट्रंप ने कल यरूशलम को इजरायल  की राजधानी के तौर पर मान्यता दी और उन्होंने ऐसा करके पवित्र शहर को लेकर करीब सात दशक पुरानी अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय नीति को पलट दिया. ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने एक संपादकीय में लिखा, ‘‘यह रूख उनके घरेलू राजनीतिक आधार और कई इजरायलियों के लिए तो ठीक हो सकता है. यद्यपि ट्रंप परोक्ष रूप से इस पर जोर दे रहे हैं देश के पूर्व राष्ट्रपतियों का मध्य पूर्व और उसके आगे प्रतिकूल स्थिति को लेकर चिंता करना गलत था. राजनीतिक लाभ के लिए यह बड़ा जोखिम है.’’


समाचार पत्र ने संपादकीय में लिखा है कि अभी तक ट्रंप के निर्णय को यूरोप और मध्य पूर्व में अमेरिका के प्रत्येक बड़े सहयोगी ने खारिज किया है जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, मिस्र और सऊदी अरब शामिल हैं.


‘द न्यूयार्क टाइम्स’ ने लिखा है कि इस नाजुक मामले में इजरायल  के प्रति ट्रंप का झुकाव निश्चित रूप से समझौते को मुश्किल बनाएगा. इसके साथ ही इससे वार्ताओं में अमेरिका की ईमानदारी और निष्पक्षता को लेकर संदेह उत्पन्न होंगे. इससे क्षेत्र में नया तनाव उत्पन्न होगा और शायद हिंसा भी भड़क जाए. समाचार पत्र में कहा कि इसमें सबसे बड़े विजेता इजरायल  के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू हैं जिनकी सरकार ने शांति में कोई गंभीर रूचि नहीं दिखायी है.


हालांकि ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अपने संपादकीय में लिखा है, ‘‘ट्रंप का कल का निर्णय वास्तविकता को एक मान्यता है’’ और वह सही हैं. इजरायल  की संसद, उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास यरूशलम में स्थित हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री अपने इजरायली समकक्षों से वहां मुलाकात करते हैं.’’


इस बीच व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने सीएनएन को बताया कि इससे शांति प्रक्रिया पटरी से उतर जाएगी. व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं, हम उसके अस्थायी रूप से पटरी से उतरने को लेकर तैयार हैं. पूरा यकीन है कि यह अस्थायी होगा.’’ अधिकारी ने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति की शांति टीम ने ट्रंप की घोषणा के बाद नाराज फलस्तीनी अधिकारियों से बात नहीं की है.


एक अधिकारी ने कहा, ‘‘बहुत से लोग इस बारे में विचार कर रहे हैं कि इस फैसले का अमली जामा पहनाने के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि शांति प्रक्रिया प्रभावित न हो.’’