Ibrahim Raisi Death: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर की हेलिकॉप्टर हादसे में 19 मई को मौत हो गई थी. इन मौतों से ईरान को बड़ा नुकसान हुआ है, साथ ही भारत को भी बड़ा झटका लगा है. रईसी के न रहने पर भारत को विदेश मामलों में कुछ समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय जरूरतों के लिए ईरान काफी महत्वपूर्ण है, अमेरिकी प्रतिबंधों को बावजूद इब्राहिम रईसी भारत के पक्ष में थे, ऐसे में इनकी मौत से भारत को मुस्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इब्राहिम रईसी की मौत पर भारत सरकार ने एक दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, भारत के इस फैसले से कई देशों को भौंहें चढ़ गई. भारत के पास विदेश नीति के मसले पर बहुत मोरल एक्टिविज्म नहीं है. भारत के लिए जरूरी है कि वह पश्चिम एशिया के अहम देश और अरब देशों के लिए भारत का प्रवेश द्वार ईरान के साथ बेहतर रणनीतिक संबंध बनाकर रखे. भारत के लिहाज से रईसी की मौत एक बड़ा झटका है.
अमेरिकी प्रतिबंध भारत के लिए खतरनाक
रईसी के दौरान पश्चिमी एशिया के देशों में भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत रही, यहां पर चीन का प्रभाव बढ़ नहीं पाया. इसके अलावा अमेरिका की अनिश्चित ईरान नीति के दौरान रईसी बेहतर तालमेल बैठा रहे थे. भारत के साथ व्यापार संबंधों के दौरान अमेरिका हमेशा से ईरान पर प्रतिबंध लगाता रहा है. भारत की ईरान के साथ चाबहार डील रईसी और अमीर अब्दुल्लाहियान की मौत से कुछ दिन पहले ही हुई थी. भारत की तरफ से चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहस्ती टर्मिनल के विकास के लिए ईरान के साथ 10 साल का अनुबंध करने की घोषणा करने पर अमेरिका ने प्रतिबंधों की एक ताजा धमकी जारी कर दी. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान के साथ व्यापारिक साझेदारी करने पर किसी भी देश को प्रतिबंधों के लिए तैयार रहना होगा.
फंस सकता है चाबहार पोर्ट का मसला
चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत के लिए दशकों से महत्वपूर्ण रही है. यह अमेरिका और भारत की साझेदारी में एक ऐसा मुद्दा है, जिसे अमेरिकी हितों तबाह कर दिया गया. चाबहार पोर्ट से भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करने में आसानी होती है. इस पोर्ट के जरिए भारत सीधे खाड़ी देशों तक आसानी से पहुंच बना लेता है. इससे चीन का मुकाबला करने में भी आसानी होती है. जाहिर तौर पर चाबहार पोर्ट भारत के लिए काफी अहम है. यही वजह है कि तमाम अटकलों के बीच और अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए भारत ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है. चीन अभी तक चाबहार पोर्ट परियोजना से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है, लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि चीन ईरान के साथ कई डील की है.
भारत के पक्ष में थे इब्राहिम रईसी
माना ये जा रहा है कि चीन अब ईरान के साथ व्यापार करने में काफी रुचि दिखा रहा है. दूसरी तरफ हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की बदौलत चाबहार पोर्ट समझौते को अंतिम रूप मिला है. इसके अलावा पाकिस्तान यात्रा के दौरान भी रईसी ने पाकिस्तान के तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ नहीं बोले, इससे स्पष्ट होता है कि रईसी भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे. अब आने वाले दिनों में भारत अमेरिकी प्रतिबंधों से कैसे निपटता है यह देखने वाली बात होगी.
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