USA News: इन दिनों अमेरिका के लिए चीन और रूस दोनों ही बड़ी चुनौतियां बनकर उभर रहे हैं. हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता चीन है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में, जहां भारत उसका सबसे ताकतवर सहयोगी है.
अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रक्षा नीति के लिए अंडर सेक्रेटरी पद के लिए नामित एल्ब्रिज कोल्बी को सीनेट से मंजूरी मिल जाती है, तो यह धारणा और मजबूत हो जाएगी कि वॉशिंगटन के लिए असली खतरा बीजिंग है, न कि मॉस्को
चीन को बता चुके हैं खतरा
एल्ब्रिज कोल्बी ट्रंप प्रशासन के सबसे मुखर अधिकारियों में से एक हैं, जो यह तर्क देते हैं कि अमेरिका को अपना ध्यान यूरोप और रूस से हटाकर चीन और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की बढ़ती चुनौतियों पर केंद्रित करना चाहिए.
उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अमेरिकी हितों के लिए सबसे बड़ा खतरा इंडो-पैसिफिक पर संभावित चीनी वर्चस्व है, जो अमेरिका की सुरक्षा, स्वतंत्रता और समृद्धि को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. फाइनेंशियल टाइम्स में वो इसको लेकर लेख भी लिख चुके हैं.
ताइवान को लेकर कही थी ये बात
एल्ब्रिज कोल्बी को पिछले हफ्ते सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी की बैठक में अपनी पुष्टि सुनवाई के दौरान कठिन सवालों का सामना करना पड़ा. इस दौरान सीनेटर कॉटन ने कोल्बी से सवाल किया, "पिछले कुछ वर्षों में आपने कहना शुरू किया कि ताइवान हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कोई अस्तित्वगत संकट नहीं है और न ही यह हमारी सुरक्षा के लिए अनिवार्य है. क्या आप स्पष्ट कर सकते हैं कि ताइवान की रक्षा पर आपके रुख में यह नरमी क्यों आई?"
यूरेशियन टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, एल्ब्रिज कोल्बी ने जवाब दिया कि उन्होंने हमेशा ताइवान को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना है, लेकिन इसे अस्तित्व का सवाल नहीं बताया. उन्होंने तर्क दिया कि यह विचार अमेरिका और चीन के बीच "सैन्य संतुलन" में आए बदलाव के आधार पर है.
उन्होंने कहा, "जो बदला है सीनेटर, वह है सैन्य संतुलन का नाटकीय रूप से बिगड़ना." चीन के प्रभाव क्षेत्र में अमेरिका की तैयारी की कमी को रेखांकित करते हुए कोल्बी ने कहा, "यह उस निरर्थक और अत्यधिक महंगे प्रयास से अलग है, जो हमारी सेना को भारी नुकसान पहुंचा सकता है."