Dubai India relation : काम की तलाश में दुबई गए हिंदू युवाओं ने मुसलमानों को लेकर अलग धारणा पेश की है. वे कहते हैं कि मुसलमान वैसे नहीं हैं, जैसे उनके प्रति धारणा बना ली गई है. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के औरंगाबाद के रामेश्वर साव कहते हैं, मेरे गांव में आसपास कोई मुस्लिम परिवार नहीं है, लेकिन 2015 में काम की तलाश में सऊदी जाना पड़ा, वहां मुसलमान मेरे रूममेट बन गए, जिनमें कुछ पाकिस्तानी भी थे.


रामेश्वर ने कहा, मुसलमानों को लेकर आतंकवादी और कट्टर वाली जो छवि मेरे मन में गढ़ी गई थी, वो साथ रहने पर दूर हो गई. वहीं, सिवान के चांदपाली मौजा गांव के रहने वाले राजन कहते हैं किसी मुस्लिम ने उन्हें काम के लिए कतर भेजा था. वहां, कई रूममेट उनके मुस्लिम ही बन गए. उन्होंने कहा, मुसलमान साथियों ने कमरे के ही एक कोने में छोटा-सा मंदिर बनवा दिया है. राजन कमरे में ही पूजा करते हैं और मुसलमान दोस्त उसी कमरे में नमाज़ पढ़ते हैं. 


बदल गया पूरा ट्रेंड
सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, बहरीन, ओमान और कतर में भारत के प्रवासी श्रमिकों का ट्रेंड पिछले कुछ सालों में बदल गया है. यूएई में हुई एक स्टडी के मुताबिक़, पहले केरल से इन देशों में कामगार बड़ी संख्या में जाते थे, लेकिन इसमें 90 फ़ीसदी की गिरावट आई है. अब इसकी भरपाई यूपी-बिहार के लोग कर रहे हैं. 2023 के पहले 7 महीनों में भारतीय मज़दूरों की तादाद 50 प्रतिशत बढ़ी है और इसमें सबसे ज़्यादा यूपी-बिहार के हैं. पटना में हर साल लगभग तीन से चार लाख पासपोर्ट जारी किए जाते हैं. 


90 लाख भारतीय रहते हैं इस्लामिक देशों में
खाड़ी के इस्लामिक देशों में करीब 90 लाख भारतीय रहते हैं. इनमें सबसे ज्यादा यूएई में 38 लाख और उसके बाद सऊदी अरब में 26 लाख भारतीय रहते हैं. 2023 में भारतीयों ने विदेशों से कमाकर भारत 125 अरब डॉलर भेजा था. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी गल्फ़ में रहने वाले भारतीयों की थी. 125 अरब डॉलर में केवल यूएई में रहने वाले भारतीयों की हिस्सेदारी 18 फ़ीसदी है.वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत के प्रवासियों के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. आईओएम की जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 38 लाख भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे थे. दूसरे स्थान पर अमेरिका में 27 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख लोग रह रहे थे.


कितनी मिलती है सैलरी
जॉब और रिक्रूटमेंट कंपनी ग्लासडूर के अनुसार, दुबई में मजदूरों को मिलने वाली एवरेज सैलरी 2000 दिरहम (दुबई की मुद्रा) है. भारतीय रुपयों के अनुसार यह वेतन 45,000 है. वहीं, वेजसेंटर वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में न्यूनतम वेतन 600-3000 दिरहम प्रति माह के बीच है. भारतीय रुपयों में यह रकम 13,000 से 68,000 तक बैठती है. हालांकि सैलरी स्कैल कर्मचारी और कंपनी की योग्यता पर निर्भर करती है.


अब बहुत मजबूत हुए हैं भारत और UAE के रिश्ते
आज भारत और यूएई के रिश्ते जिस दौर में हैं, वैसे शायद पहले ही कभी रहे हों. एक वक्त ऐसा था, जब दोनों मुल्कों के बीच तल्खी चरम पर थी. 1999 में भारत के विमान को हाईजैक कर कंधार ले जाने से पहले यूएई ले जाया गया था. यह विमान जहां उतरा था, उस एयरबेस में यूएई ने भारतीय राजदूत को जाने से रोक दिया गया था. भारत, वहां कमांडो ऑपरेशन शुरू करना चाहता था, जिसे यूएई ने सिरे से खारिज कर दिया था. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आता रहा, लेकिन रिश्तों पर जमी ये बर्फ उस समय पिघलनी शुरू हुई, जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 2015 में यूएई की यात्रा की. उनसे पहले 1981 में इंदिरा गांधी यूएई का दौरा कर चुकी थीं. भारत और यूएई के बीच रिश्तों की जड़ें 5 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जातीं हैं. बाद में यूएई 7 अमीरातों के संघ के रूप में अस्तित्व में आया, जिसमें अबू धाबी,  दुबई,  शारजाह,  अजमान, उम्म अल-क्वैन, फुजैराह और और रास अल खैमा शामिल हैं. अमीरात को असल में रियासत कहा जाता है. 1972 में भारत ने यूएई के साथ राजनयिक संबंधों को स्थापित कर दिया। भारत में यूएई लगभग 11.67 अरब डॉलर निवेश करता है. यूएई की आबादी लगभग एक करोड़ है, जिसमें 38 लाख भारतीय हैं. भारत और UAE के बीच आर्थिक साझेदारी विकसित हुई है, वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है.