अमेरिका के दस राज्यों में McDonald बर्गर खाने से फैला E. coli वायरस! एक की गई जान, दर्जनों बीमार
One Died and dozen ill: अमेरिका के कोलोराडो और नेब्रास्का में ई कोली वायरस की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है. वहीं दर्जनों बीमार हैं.
E Coli Outbreak in America : अमेरिका में एक नए तरह का वायरस फैल गया है. इस वायरस का नाम ई कोली वारयस है जो कि मैकडॉनल्ड्स (McDonald’s) के क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर के खाने से अमेरिका के 10 राज्यों में फैला है. इस बात की जानकारी यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने मंगलवार को दी. बताया गया है कि इसके ज्यादातर मामले कोलोराडो औऱ नेब्रास्का में सामने आए हैं.
CDC ने इस मामले में क्या कहा
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, इस वायरस से अब तक एक व्यक्ति की जान जा चुकी है. साथ ही दर्जनों अस्पताल में भर्ती हैं. सीडीसी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस वायरस के फैलने में मैकडॉन्लस के क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर बनाने की सामग्री जिम्मेदार है इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन जांचकर्ता इसमें इस्तेमाल किए गए प्याज और बीफ की जांच कर रहे हैं.
बता दें कि ई कोली का O157:H7 स्ट्रेन गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. साल 1993 में जैक इन द बॉक्स रेस्टोरेंट में अधपके हैमबर्गर के खाने से इसी वायरस के कारण चार बच्चों की मौत हो गई थी. वहीं, फिलहाल दुनिया के सबसे बड़े फूड चेन मैकडॉन्लस के शेयर्स में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
मैकडॉनल्स के चीफ सप्लाई ऑफिसर ने कहा
मैकडॉनल्स के उत्तरी अमेरिका के चीफ सप्लाई चेन ऑफिसर सीजर पिना ने एक बयान में कहा कि शुरुआती जांच के मुताबिक इस बीमारी का कारण क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर में इस्तेमाल किए जाने वाले प्याज से जुड़ा हो सकता है. जिसे तीन डिस्ट्रिब्यूशन सेंटरों पर एक ही सप्लायर के जरिए भेजा जाता था.
मैकडॉनल्स ने क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर को हटाया
बता दें कि ई कोली वायरस से एक की मौत और दर्जनों के बीमार होने के बाद मैकडॉनल्स ने एक बयान में कहा है कि क्वार्टर पाउंडर को कोलोराडो, कंसास, यूटा और व्योमिंग सहित प्रभावित क्षेत्रों से हटा रहा है.
क्या हैं ई कोली वायरस के लक्षण
ई कोली वायरस के लक्षण में बारे में बात करें तो कोलोराडो के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, इससे पेट में अत्यधिक दर्द, डायरिया और उल्टी जैसी लक्षण शामिल हैं. वहीं, इसकी चपेट में आने वाला व्यक्ति तीन से चार दिनों में बीमार होने लगता है.