Space News: एलियंस की तलाश अभी तक जारी है, मगर इस विशालकाय ब्रह्मांड में अब तक उनका कोई सुराग नहीं लगा है. इस बीच अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट के जरिए किए गए एक रिसर्च में कहा गया है कि आज के मुकाबले जब डायनासोर का युग था, उस वक्त एलियंस के धरती पर आने की संभावना ज्यादा थी. वर्तमान समय में उनके धरती पर आकर इंसानों के साथ संपर्क करने की संभावना काफी कम है. 


एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट ने अपनी रिसर्च के लिए 54 करोड़ साल तक की जानकारी के जरिए मौजूद डाटा का इस्तेमाल किया है. इसमें फैनरोजोइक ईऑन वक्त का डाटा भी लिया गया है. उस समय धरती पर डायनासोर भी नहीं थे. रिसर्चर्स ने ब्रह्मांड की असीम दूरियों में जीवन का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण बायोमार्कर के बदलावों का भी पता लगाया है. इनके जरिए ये पता लगता है कि आज धरती पर जो तत्व और मिनरल मौजूद हैं, वो कितने साल पहले अस्तित्व में आए थे. 


एलियंस धरती पर कब आए होंगे? 


ऑक्सीजन और मीथेन के साथ-साथ ओजोन और मीथेन दो महत्वपूर्ण बायोमार्कर की जोड़ियां हैं. ये पृथ्वी पर लगभग 10 से 30 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आए. इनकी वजह से धरती पर हरियाली हुई, जिसने उस वक्त पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन को और भी ज्यादा बढ़ाया. ये वक्त जुरासिक युग का था. इस समय धरती पर बड़े-बड़े डायनासोर चारों ओर घूमा करते थे और नदियों एवं समुद्र पानी से लबालब भरे हुए थे. अभी इंसानों का कोई वजूद नहीं था.  


इन बातों को आधार बनाकर रिसर्च में कहा गया है कि अगर एलियंस सभ्यताओं के पास अडवांस्ड टेलिस्कोप रहा होगा, तो वो आज के बजाय जुरासिक युग में धरती का आसानी से पता लगा सकते थे. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि अगर एलियंस को धरती पर आना होता, तो वो उसी वक्त आ गए होते. मगर अब इसकी संभावना बेहद ही कम नजर आती है. यही वजह है कि अब हम खुद ब्रह्मांड की गहराइयों में एलियंस को ढूंढ रहे हैं. 


कोर्नेल यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मायने क्या हैं? 


रिसर्च के जरिए हमें ये मालूम चलता है कि यूनिवर्स में पृथ्वी को खोजे जाने की संभावना क्या है. इसके जरिए ये भी मालूम होता है कि अगर हमें किसी ग्रह को ब्रह्मांड में ढूंढना है, तो किन फैक्टर्स पर ध्यान देने की जरूरत है. वर्तमान में दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां एलियंस को ढूंढने में लगी हुई हैं. जेम्स वेब टेलिस्कोप के जरिए भी दूर-दराज मौजूद ग्रहों पर नजर रखी जा रही है. 


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