जकार्ता: इंडोनेशिया में सोमवार को रिक्टर पैमाने पर 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. हालांकि, सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की गई. भूकंप के झटके रात 12.27 बजे महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र उत्तरी मालूकु प्रांत के हालमाहेरा में 146 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में दर्ज किया गया. अधिकारी ने कहा, "हालांकि, हमने सुनामी को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया है."


इंडोनेशिया में प्राकृतिक आपदा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में सुनामी की तबाही झेलने वाले इस देश के जावा द्वीप में दो जनवरी को भूस्खलन की वजह से 30 घर धंस गए जिससे करीब 15 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई.


इंडोनेशिया में निरंतर भूकंप और सुनामी इस वजह से आते रहते हैं क्योंकि ये भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय फायर ऑफ रिंग पर विराजमान है. ये प्रशांत महासागर के बेसिन में ज्वालामुखियों और फॉल्ट लाइनों का एक आर्क है. आपको बता दें कि प्रशांत महासागर में एक तरफ ये जहां जपाना से इंडोनेशिया तक फैला हुआ है तो वहीं दूसरा तरफ इसका विस्तार कैलिफोर्निया से नॉर्थ अमेरिका तक है.


भूस्खलन से पहले इंडोनेशिया के पापुआ बैराट प्रांत में 28 दिसंबर को रिकटर पैमाने पर 6.1 तीव्रता के भूकंप के झटके दर्ज किए गए थे. इस भूकंप में किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं थी. उसके पहले आई सुनामी में अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

इंडोनेशिया में आए बड़े भूकंप और सुनामी में हुईं मौतें

साल                        मृतकों की संख्या


जुलाई 2006-          700
सितंबर 2009-        1100
अक्टूबर 2010-       300
दिसंबर 2016-        100
अगस्त 2018-         500
सितंबर 2018-        2000


इस हिसाब से अकेले 2018 में ही अभी तक इंडोनेशिया में 2800 के करीब लोगों की जानें चली गईं. आपको बता दें कि 400 से अधिक लोगों को लील जाने वाली सुनामी एक ज्वालामुखी के फटने से आई थी. इसकी वजह से उठी लहरों ने सैकड़ों बिल्डिंगों को तबाह कर दिया. सुनामी तब आई जब काराकोटा के "बच्चे" के तौर पर जाने जाने वाली ज्वालामुखी फट गई.


भूकंप और ज्वालामुखी के फटने से आने वाली सुनामी में ये फर्क होता है कि भूकंप से आने वाली सुनामी का अलर्ट सिस्टम मौजूद है. ऐसे में अधिकारी भूकंप आने से पहले मिली जानकारी के मुताबिक राहत और बचाव की तैयारियां कर सकते हैं. लेकिन ज्लावामुखी से आने वाली सुनामी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज ने कहा कि 'शक्तिशाली लहरें' 30-90 सेंटीमीटर (1-3 सेंटीमीटर) की ऊंचाई तक उठ रही थीं.


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