Earthquake in Japan: उत्तरी जापान के इवाते और आओमोरी प्रांत में मंगलवार (2 मार्च) को 6.1 तीव्रता का भूकंप आया. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के हवाले से रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र इवाते प्रांत का उत्तरी तटीय हिस्सा था. जापान के मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, भूकंप का सेंटर इवाते प्रांत का उत्तरी तटीय हिस्सा था.


जापानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल अभी तक इस भूकंप से नुकसान की कोई सूचना नहीं है. मौसम विभाग ने सुनामी को लेकर भी कोई अलर्ट जारी नहीं किया है, इसलिए लोग राहत की सांस ले रहे हैं.


साल की शुरुआत में भी आया था भूकंप


बता दें कि हमने इससे पहले इस साल की शुरुआत (1 जनवरी 2024) में 7.5 तीव्रता वाला भूकंप आया था. इसके बाद उसके तट 800 फीट से ज्यादा खिसक गए हैं. कई द्वीप समंदर में थोड़ा ऊपर उठ गए हैं. जिससे समंदर थोड़ा दूर चला गया है. 


इसलिए आता है भूकंप


पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं. इस दौरान होने वाले डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.


जापान में इतने झटके क्यों?


जापान में भूकंप, सूनामी और ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनिया भर में, रिक्टर स्केल पर 6 या इससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप में से 20% सिर्फ इसी देश में आते हैं. यहां हर साल करीब 2000 बार भूकंप के झटके लगते हैं. यही नहीं, जापान इकलौता ऐसा देश है जहां हर साल एक या इससे अधिक सुनामी देखने को मिलती है.


लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान रिंग ऑफ फायर के अंदर बसा है. दुनिया के ज्यादातर भूकंप और सूनामी इसी रिंग ऑफ फायर के अंदर आते हैं. इसका कारण ये है कि इसके चारों तरफ अलग-अलग महाद्वीपीय प्लेट हैं और बीच में प्रशांत महासागर के रूप में बहुत सारा पानी. इसमें यूरेशियन प्लेट (यूरोप+एशियन प्लेट), इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, उत्तरी अमेरिकन प्लेट और दक्षिणी अमेरिकन प्लेट है. इन प्लेटों में हलचल होती रहती है. जब ये प्लेट सबडक्शन जोन (वो क्षेत्र जहां एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरे के नीचे खिसकती है) में एक दूसरे से टकराती हैं तो भूकंप पैदा होता है. जापान इन्हीं भोगौलिक क्रियाओं के चलते भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है.


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