Earthquake In Nepal: नेपाल में शुक्रवार (3 नवंबर) रात आए 6.4 तीव्रता के भूकंप के कारण देश के सुदूर पर्वतीय क्षेत्र में कम से कम 157 लोगों की मौत हो गई. अधिकारियों ने शनिवार (4 नवंबर) को जानकारी देते हुए बताया कि भूकंप की वजह 160 से अधिक लोग घायल हैं, जबकि सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए.
यह नेपाल में 2015 के बाद से सबसे विनाशकारी भूकंप है. राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के अनुसार, भूकंप शुक्रवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया, जिसका केंद्र जाजरकोट जिले में था. यह स्थान राजधानी काठमांडू से करीब 500 किलोमीटर पश्चिम में है. साल 2015 में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप में लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी और 22,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. भूकंप के झटके काठमांडू और इसके आसपास के जिलों में, और यहां तक कि पड़ोसी देश भारत की राजधानी नई दिल्ली तक महसूस किए गए.
नेपाल सेना के प्रवक्ता कृष्ण प्रसाद भंडारी के अनुसार, नेपाल सेना ने भूकंप के तुरंत बाद घटना स्थल पर बचाव कार्य करने के लिए शुक्रवार को अपने कर्मियों को लामबंद किया. बचाव कर्मी शनिवार को ढह चुके मकानों के मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश करते नजर आए. सरकारी 'नेपाल टेलीविजन' के अनुसार, पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिले भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार भूकंप से अबतक 157 लोगों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि इनमें से 105 लोगों की मौत जाजरकोट में और 52 की मौत रुकुम जिले में हुई है. अधिकारियों ने बताया कि जाजरकोट, रुकुम पश्चिम, दाइलेख और जुमला जिलों में 160 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
जाजरकोट और रुकुम जिले को जारी की गई 5-5 करोड़ की राशि
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप में मारे गए लोगों में जाजरकोट में नलगढ़ नगर पालिका की डिप्टी मेयर सरिता सिंह भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. नेपाल सरकार ने तत्काल भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए जाजरकोट और रुकुम जिले को 5-5 करोड़ रुपये जारी किए हैं.
पीएम मोदी ने नेपाल में भूकंप से जान-माल के नुकसान पर जताया दुख
इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में आपदा राहत के लिए 55 लाख रुपये जारी करने का फैसला किया है ताकि प्रभावित लोगों के राहत और बचाव कार्य किया जा सके.
भारत ने भी नेपाल को हर संभव सहायता करने की पेशकश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल में भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान पर शनिवार को दुख व्यक्त किया और कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश के साथ एकजुटता से खड़ा है और उसे हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए तैयार है.
'भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है'
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में प्रचंड को टैग करते हुए कहा, ''नेपाल में भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान को लेकर बहुत दु:खी हूं. भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर संभव मदद मुहैया कराने के लिए तैयार है. हम शोकसंतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.''
चीन ने 10 करोड़ नेपाली रुपये की आपदा राहत सामग्री की पेशकश की
काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि अमेरिका इस भयावह भूकंप से उबरने में मदद करने के लिए नेपाल की सहायता करने को तैयार है. अधिकारियों ने बताया कि चीन ने प्रभावित जाजरकोट और रुकुम जिलों में 10 करोड़ नेपाली रुपये की आपदा राहत सामग्री की पेशकश की है.
अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' ने शनिवार सुबह चिकित्सा कर्मियों के एक दल के साथ घटनास्थल का दौरा किया. उन्होंने भूकंप के कारण हुई क्षति का आकलन करने के लिए जानकारी एकत्र की और मुख्य जिला अधिकारी के साथ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया. इसके बाद वह 7 घायलों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ जाजरकोट से सुरखेत लौट आए. घायलों का सुरखेत जिला अस्पताल में इलाज जारी है.
राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने भी भूकंप में जान-माल का नुकसान होने पर दुख व्यक्त किया है. राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक, उन्होंने सरकार और सभी संबंधित एजेंसियों से भूकंप प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने की अपील की है.
पीड़ितों का मुफ्त इलाज होगा- स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्री
स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्री मोहन बहादुर बासनेत ने कहा कि सरकार भूकंप पीड़ितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराएगी. नेपाल में अक्सर भूकंप आते रहते हैं. दरअसल नेपाल, हिमालय पर्वतमाला की उस श्रृंखला पर स्थित है, जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टॉनिक प्लेटें मिलती हैं और ये हर सदी एक-दूसरे के तकरीबन दो मीटर नजदीक आ रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप दबाव उत्पन्न होता है और भूकंप आते हैं.
इस साल 16 अक्टूबर को नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत में 4.8 तीव्रता और 22 अक्टूबर को राजधानी काठमांडू में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था.
नेपाल में भूकंप आना क्यों है सामान्य?
नेपाल स्थित राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र में वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक भरत कोइराला ने बताया, ''भारतीय और यूरेशिया की टेक्टॉनिक प्लेटों में लगातार टक्कर हो रही है जिससे बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है. नेपाल इन दोनों प्लेटों की सीमा पर है, जो भूकंप के मामले में अतिसक्रिय इलाकों में आता है और इसलिए नेपाल में भूंकप आना सामान्य है.''
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