Nepal Earthquake: नेपाल में शुक्रवार (3 नवंबर) रात आए भूकंप की वजह से 128 लोगों की मौत हो चुकी है. अधिकारियों ने बताया है कि एक हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. सबसे ज्यादा नुकसान उन पहाड़ी इलाकों में हुआ, जहां कच्चे घर बने हुए हैं. अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई इलाकों से संपर्क टूट चुका है. भूकंप के झटके भारत की राजधानी दिल्ली तकह महसूस किए गए हैं. 


रात 11.32 बजे आए भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है. नेपाल के 'नेशनल अर्थक्वेक मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर' का कहना है कि भूकंप का केंद्र जाजरकोट में था, जो राजधानी काठमांडू से 250 मील उत्तर-पूर्व में है. भूकंप की वजह से सबसे ज्यादा तबाही रुकुम जिले में हुई है, जहां घर जमींदोज हो गए हैं. जाजरकोट जिले में भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. ऐसे में आइए आज आपको नेपाल में आए कुछ सबसे भयानक भूकंपों के बारे में बताते हैं. 


नेपाल में भूकंप का सबसे पुराना इतिहास?


इस हिमालयी देश में भूकंप का रिकॉर्ड देखने पर पता चलता है कि पिछले 800 सालों से यहां बार-बार धरती हिलती रही है. भूकंप के रिकॉर्ड को रखने की शुरुआत 800 साल से ही हो रही है. ऐसे में सबसे पहला भूकंप के बारे में साल 1255 में पता चलता है, जब 2200 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद सन 1260 में आए भूकंप में 100 लोगों की मौत हुई. बीबीसी नेपाली की रिपोर्ट के मुताबिक, सन 1312 में आए भूकंप में तो खुद राजा अभय मल्ला की मौत हो गई थी. 


इस भूकंप को सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसकी वजह से देश के घर और मंदिर बिल्कुल तहस-नहस हो गए थे. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि एक तिहाई नागरिकों की मौत भी हो गई. इसके बाद भी भूकंप के झटके कई शताब्दियों तक महसूस किए जाते रहे हैं. बीबीसी के मुताबिक, नेपाल में 800 साल के इतिहास में अब तक 50 बार ऐसे भूकंप के झटके आए हैं, जिनकी वजह से बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है. 


100 साल में आए सबसे खतरनाक भूकंप के झटके


वहीं, पिछले 100 साल के इतिहास को देखने से पता चलता है कि नेपाल हमेशा कुछ सालों के अंतराल पर भीषण भूकंप के झटकों का गवाह रहा है. कभी सैकड़ों लोगों की जान गई है, तो कभी हजारों की संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी है. आइए आपको 100 साल में आए कुछ सबसे भीषण भूकंपों के बारे में बताते हैं. 


15 जनवरी, 1934: नेपाल के इतिहास में इस दिन आए भूकंप को सबसे खतरनाक भूकंप के तौर पर याद रखा जाता है. इसे बिहार-नेपाल भूकंप के तौर पर जाना जाता है. इस भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल में माउंट एवरेस्ट से छह मील दूर था. भूकंप के झटकों की वजह से भारत और नेपाल में 16000 लोगों की मौत हुई. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.0 मापी गई थी. 


29 जुलाई, 1980: लगभग पांच दशक बाद नेपाल में धरती एक बार फिर कांपी. इस बार आए भूकंप को नेपाल-भारत सीमा भूकंप के तौर पर जाना गया. रिक्टर स्केल पर 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप की वजह से 200 लोगों की जान गई, जबकि 5000 से ज्यादा लोग घायल हुए. भूकंप के झटके इतने ज्यादा तेज थे कि हजारों की संख्या में घर उजड़ गए. 


20 अगस्त, 1988: नेपाल-भारत का सीमा वाला इलाका भूकंप के झटकों को सबसे ज्यादा सहता रहा है. ऐसा ही कुछ 1988 में भी हुआ, जब 6.8 तीव्रता के भूकंप के चलते एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. दिल्ली से लेकर बांग्लादेश तक भूकंप के झटके महसूस किए गए. 1934 के बाद ये नेपाल में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था. 


25 अप्रैल, 2015: नेपाल में अगला बड़ा भूकंप 2015 में आया, जब करीब 9 हजार लोगों की मौत हो गई. इस भूकंप की वजह से नेपाल की अर्थव्यवस्था को 6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि राजधानी काठमांडू से लेकर देश के प्रमुख शहरों तक में इमारतें जमींदोज हो गईं. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.8 से 8.1 तक मापी गई. 


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