क्या होता है क्रॉस बॉर्डर भूकंप? वैज्ञानिकों से जानिए तुर्किए में बार-बार क्यों लग रहा है झटका
तुर्किए में बार-बार भूकंप आने की 2 बड़ी वजहे हैं. पहला, तुर्किए तीन प्लैट अरबियन, एंटोलियन और अफ्रीकी से घिरा है और दूसरा तुर्किए जिस एंटोलियन प्लैट पर टिका है उसमे दो फॉल्ट है.
मीडिल ईस्ट के तुर्किए में पिछले 36 घंटे में 109 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की वजह से तुर्किए और सीरिया में 4300 से अधिक लोगों की मौत हुई है. तुर्किए और सीरिया के कई शहर मलबे में तब्दील हो गए हैं. तुर्किए और सीरिया में भूकंप से हुई क्षति के बाद क्रॉस बॉर्डर भूकंप एक बार फिर चर्चा में है.
क्रॉस बॉर्डर भूकंप का मतलब होता है- भूकंप का एपिक सेंटर किन्हीं दो देशों की सीमा के आसपास हो. 2015 में नेपाल और तिब्बत जबकि 2017 में इराक और ईरान में क्रॉस बॉर्डर भूकंप से भारी तबाही मची थी.
इस स्टोरी में क्रॉस बॉर्डर भूकंप क्यों खतरनाक होता है इसे विस्तार से जानेंगे, लेकिन पहले वैज्ञानिकों से जानते हैं कि तुर्किए में क्यों बार-बार भूकंप का झटका महसूस हो रहा है...
1. तीन प्लेट के बीच में स्थित तुर्किए- तुर्किए अरबियन, एंटोलियन और अफ्रीकी प्लैट के बीच में स्थित है. ऐसे में जब भी कोई प्लैट खिसकता है तो एक दूसरे से टकरा जाते हैं. इस वजह से वहां बार-बार भूकंप का झटका महसूस किया जाता है.
ब्रिटिश भूवैज्ञानिक स्टीफन हिक्स के मुताबिक अरबियन प्लैट हर साल 11 सेमी खिसक रही है. ऐसे में एंटोलियन प्लैट पर भार बढ़ता जा रहा था. इस बार भूकंप की वजह एंटोलियन प्लैट ही है.
2. एंटोलियन प्लेट के फॉल्ट पर टिका तुर्किए- ब्रिटिश भूवैज्ञानिक डेविड रॉथरी ने साइंटिफिक जर्नल नेचर से बात करते हुए कहा कि तुर्किए का अधिकांश हिस्सा एंटोलियन प्लेट के 2 फॉल्ट पर टिका है. पहला फॉल्ट नॉर्थ यानी उत्तरी और दूसरा ईस्ट यानी पूर्वी भाग स्थित है.
भूकंप आने की वजह है तुर्किए का पूर्वी भाग वाला एंटोलियन प्लेट का खिसकना. रॉथरी बताते हैं- हरेक साल पूर्वी भाग वाला एंटोलियन प्लेट 2 सेमी तक खिसक रहा था, जो अब काफी ज्यादा हो गया है.
दूसरी ओर सीरिया और अरब का जो टेक्टॉनिक प्लेट है, वो बार-बार उत्तरी एंटोलियन प्लेट से टकरा रही है. प्लेट के बीच काफी ज्यादा जगह खाली है, जिस वजह से यह टकराव अधिक तेजी से हो रही है, इसलिए वहां बार-बार भूकंप आ रहा है.
क्या भूकंप के खतरे को रोका जा सकता था?
अमेरिकी भूवैज्ञानिकों ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित कर तुर्किए की सरकार को चेतावनी दी थी. 1997 में भी तुर्किए में भयानक भूकंप आया था, जिसमें 17 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. तुर्किए में इसके बाद बिल्डिंग निर्माण को लेकर कई नियम बनाए थे.
लेकिन सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह विफल रही है. तुर्की के बोगजीस यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियर एर्देग मुस्तफा कहते हैं- भूकंप से जितनी भी बिल्डिंगें ध्वस्त हुई हैं, वो सभी साल 2000 के बाद बनी हैं. अगर सरकार नियम लागू कर पाती तो इसे रोका जा सकता था.
अब जानिए क्यों खतरनाक होता है क्रॉस बॉर्डर भूकंप?
क्रॉस बॉर्डर भूकंप का असर दो देशों पर सीधा-सीधा होता है. रिक्टर स्केल पर अगर भूकंप की तीव्रता 7 के आस-पास हो तो इसका नुकसान दोनों देशों को होता है.
इसे आसानी से समझते हैं- 2015 में नेपाल और तिब्बत की सीमा पर भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.3 थी. नेपाल में भूकंप की वजह से 8000 लोगों की मौत हो गई, जबकि तिब्बत में भूकंप की वजह से 27 लोग मारे गए और 856 लोग घायल हुए.
इराक और इरान में भी 2017 में इसी तरह क्रॉस बॉर्डर भूकंप की वजह से काफी नुकसान हुआ था. उस वक्त इराक के कुर्दिश शहर हलाबजा से ईरान के कर्मानशाह प्रांत में भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए थे. तब दोनों देश मिलाकर 630 लोगों की मौत हुई थी और 8 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे.