Nepal Earthquake: नेपाल में 2 महीने से भी कम समय में एक बार फिर भूकंप ने दस्तक दी है. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की ओर से रविवार (31 दिसंबर) की रात बताया गया कि नेपाल में रिक्टर पैमाने पर 4.3 तीव्रता का भूकंप आया.
इससे पहले नवंबर की शुरुआत में नेपाल में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी. 3 नवंबर को पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिलों में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके कारण 150 से ज्यादा लोगों ने जानें गंवा दी थीं और कई लोग घायल हुए थे. तीन दिन बाद (6 नवंबर को) फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
6 नवंबर को भी आया था भूकंप
6 नवंबर 5.2 और 4.5 तीव्रता के दो झटके लगे. पहले झटके का केंद्र जाजरकोट जिले के रामीडांडा में था और दूसरे का केंद्र पास के ही पेन्क में था. भूकंप के कारण तीन लोग घायल हुए थे. भूकंर का असर काठमांडू और दिल्ली तक महसूस किया गया था, जिससे भूस्खलन हुआ और घरों, सड़कों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा था.
3 नवंबर को आया भूकंप 2015 के बाद से सबसे विनाशकारी बताया गया था. 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी वजह से लगभग 9,000 लोगों ने जानें गंवा दी थीं और 22,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
वैज्ञानिकों ने दी थी ये चेतावनी
नवंबर में आए भूकंप के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि 'हो सकता है कि भूकंप से क्षेत्र का सारा दबा हुआ तनाव दूर न हुआ हो और एक बड़ा और ज्यादा विनाशकारी भूकंप आ सकता है.
टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भूकंपविज्ञानी और नेशनल सोसाइटी फॉर अर्थक्वेक टेक्नोलॉजी-नेपाल (NSET) के कार्यकारी निदेशक डॉ. आमोद दीक्षित ने बताया था कि भूकंप नेपाल के मध्य क्षेत्र में आया, जिसे सक्रिय रूप से ऊर्जा जारी करने वाले क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है और बड़े भूकंप पैदा करने का इसका इतिहास रहा है.
उन्होंने कहा था कि भूकंप भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने के कारण आया था, जो लगातार एक-दूसरे के खिलाफ दबाव बना रहे हैं और क्रस्ट में तनाव पैदा कर रहे हैं.
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