नई दिल्ली: सीरिया के शहर घौटा के पूर्वी भाग में जो हो रहा है उसकी वजह से दुनियाभर में उसे धरती का नर्क बुलाया जा रहा है. शहर के इस हिस्से में करीब चार लाख लोग हर पल ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. देश की राजधानी दमिश्क के करीब बसी इस जगह को लगातार हो रहे हवाई हमलों ने कंक्रीट के ऐसे ढेर में तब्दील कर दिया है जिसमें शहर ढूंढना असंभव सा नज़र आता है. संभव है, इन्हीं वजहों से घौटा को धरती का नर्क बताया जा रहा है.


सीरिया में चल रहा गृहयुद्ध अपने आठवें साल में हैं और जो शहर विद्रोहियों के कब्ज़े में था घौटा उनमें से एक है. सीरिया के राष्ट्रपति (कई देश इन्हें तानाशाह भी मानते हैं) बशर अल असद ने उन तमाम शहरों को विद्रोहियों और ISIS के कब्ज़े से छुड़ा लिया है जो गृहयुद्ध के दौर में उनके चंगुल में आ गए थे. घौटा विद्रोहियों का आखिरी गढ़ बचा है जिसे नेस्तनाबूद करने में सीरियाई राष्ट्रपति ने रूस के साथ मिलकर अपने ज़ोर की इंतेहा कर दी है.


 

घौटा तब से लेकर अबतक




  • साल 2013 से ही सीरियाई शासन और विद्रोहियों के बीच घौटा पिसा हुआ है. जानकार बता रहे हैं कि अभी इस शहर का हाल दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान के कई शहरों से भी बुरा है.

  • शहर में ना तो खाने का सामान बचा है और ना ही दवा बची है. अस्पतालों को निशाना बनाकर तबाह किए जाने की बात भी सामने आई है. आलम ये है कि भुखमरी अपने चरम पर है.

  • साल 2017 में रूस और ईरान जैसी ताकतों ने इस बात पर रजामंदी जताई थी कि वो इस हिस्से की हिंसा से दूरी बनाए रखेंगे. वहीं ये भी तय किया गया था कि इस इलाके में रूस और सीरिया के फाइटर प्लेन्स उड़ान नहीं भरेंगे.

  • लेकिन बीते 19 फरवरी को रूसी एयर फोर्स की पीठ पर चढ़कर सीरियाई एयरफोर्स ने शहर पर बमों की बारिश शुरू कर दी. देखते ही देखते सैंकड़ों लोग जमींदोज हो गए.

  • एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गहरी संवेदना भरी प्रतिक्रिया में कहा कि जिस तरह की बमवर्षा की जा रही है उसे वॉर क्राइम यानी युद्ध के दौर में किए गए अपराधों की श्रेणी में रखा जा सकता है. इस बमवर्षा में छह हॉस्पिटल और शहर के तमाम मेडिकल सेंटरों के तबाह होने की जानकारी है.

  • बीते शनिवार यानी 25 फरवरी को यूएन के एक प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. प्रस्ताव में बिना किसी देर के घौटा में 30 दिनों के सीज़फायर की बात थी. रूस समेत कईयों ने इसके पक्ष में वोटिंग की.

  • लेकिन बीते रविवार को सीरियाई आर्मी ने घौटा में अपना एक बार फिर अभियान शुरू कर दिया. इस अभियान के तहत वो एयर फोर्स के हमले को ढाल बनकार शहर अपने कब्ज़े में लेने के लिए आगे बढ़ रही है.

  • अल-जज़ीर की एक ख़बर के मुताबिक बीती 26 फरवरी तक सीरियाई फौज को घौटा में एक इंच की ज़मीनी बढ़त नहीं हासिल हुई है. हमले को लेकर मिली जानकारी के अनुसार फौज ने अबतक मोर्टार, बैरल बम, क्लस्टर बम और बंकर तबाह करने वाले बमों का इस्तेमाल किया गया है.

  • गृहयुद्ध की के दौरान किए गए इन विभत्स हमलों में क्लोरीन गैस के इस्तेमाल की बातें भी सामने आ रही हैं. सीरिया सिविल डिफेंस बचाव दल (जिन्हें व्हाइट हेल्मेट्स के नाम से भी जाना जाता है) ने कहा है कि हमले का शिकार हुए लोगों को देखकर यही लगता है कि वो क्लोरीन गैस का शिकार हुए हैं.

  • रूस के विदेश मंत्री ने क्लोरीन गैस के इस्तेमाल की ख़बरों को बकवास बताया है.


हताहतों की संख्या



एक न्यूज़ एजेंसी Anadolu के मुताबिक पिछले तीन महीनों में इस्टर्न घौटा में 700 लोगों ने अपनी जानें गवाई है. इनमें 185 बच्चे और 109 महिलाएं शामिल हैं. सीरियाई समाचार एजेंसी का कहना है कि घौटा में आतंकी लोगों को अपनी ढाल की तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.


घौटा असद के लिए इतना ज़रूरी क्यों


सीरिया की राजधानी दमिश्क से घौटा की दूरी महज़ 10 किलोमीटर है. ऐसे में असद के लिए अपनी सत्ता के ज़ोर की धमक का ऐहसास कराने के लिए इसे अपने कब्ज़े में लेना नाक का सवाल है.


आपको बता दें कि 104 स्क्वायर किलोमीटर में फैले चार लाख लोगों वाले इस शहर की आबादी में आधी आबादी का हिस्सा सिर्फ बच्चे हैं. इन बच्चों की उम्र 18 साल से कम की है. अभी इस शहर की लड़ाई में काफी खून बहना बाकी है लेकिन दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी इससे बिल्कुल बेख़बर है.