मिस्र में महिला टिकटॉकर पर 'अय्याशी और यौन संबंध के लिए उकसाने' के आरोप, 10 साल की सजा पर देश में बवाल
अदालत के फैसले से बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया है. कार्यकर्ताओं की दलील है कि मिस्र के साइबर अपराध कानून का इस्तेमाल कामकाजी महिलाओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है.
मिस्र की एक अदालत ने दो टिक टॉकर महिलाओं को छह से 10 साल की सजा मानव तस्करी के आरोप में सुनाई है. अदालत ने 23 वर्षीय मवादा अल अधम को छह साल की जेल और 20 वर्षीय हनीन होसाम को 10 साल की कैद का फैसला सुनाया. प्रत्येक महिलाओं पर 200,000 मिस्री पाउंड का जुर्माना भी लगाया गया.
लड़कियों को 'ऐय्याशी' पर उभारने का आरोप
अधम की पैरवी करनेवाले वकील साबेर सोक्कार ने बताया कि अन्य आरोपों में 'पारिवारिक मूल्यों को खराब करना', 'अय्याशी के लिए उकसाना' और 'युवा महिलाओं को यौन संबंध के लिए उभारना' शामिल है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अभियोजन ने आरोप लगाया कि टिक टॉकर ने आर्थिक रूप से वंचित लोगों को पैसे का लालच देकर शोषण किया और उनका संबंध आपराधिक समूह से है. उन्होंने दलील दी कि इस तरह के आरोप मानव तस्करी की श्रेणी में आते हैं.
टिक टॉकर महिला को 10 साल कैद की सजा
वकील ने बताया कि सुनवाई के लिए अधम अदालत में पेश हुई थी, जबकि होसाम की अनुपस्थिति में फैसला सुनाया गया. उन्होंने कहा कि होसाम को पूर्व की अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं रहने के कारण अधिक सजा मिली. हालांकि, दोनों महिलाएं अदालत के फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं. पिछले साल भी दोनों को गिरफ्तार किया गया था और टिक टॉक पर पोस्ट वीडियो में 'पारिवारिक मूल्यों' और 'मान्यताओं' को चोट पहुंचाने के मामले में दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
1.3 मिलियन सब्सक्राइबर रखने वाले एक वीडियो में होसाम ने लड़कियों को खुद के पैसे के लिए काम करने को कहा था, जिसके लिए उस पर 'अय्याशी' और मानव तस्करी' का आरोप भी लगाया गया. लेकिन जनवरी में अदालत ने दोनों को रिहा कर दिया. टिक टॉक पर अधम के तीन मिलियन फॉलोवर्स है. आरोप है कि उन्होंने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल खुद के डांस का वीडियो शेयर करने के लिए किया. वहीं, होसाम टिक टॉक वीडियो के जरिए दूसरों को पैसा कमाने के लिए एप इस्तेमाल करने का फुटेज अपलोड करती हैं.
फैसले के खिलाफ लोगों ने जताया विरोध
अदालत के फैसले से बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया है. कार्यकर्ताओं की दलील है कि मिस्र के साइबर अपराध कानून का इस्तेमाल कामकाजी महिलाओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. मशहूर एक्टर और कार्यकर्ता समेत कई यूजर ने ट्विटर पर फैसले का विरोध किया है.
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