दुर्लभ बीमारी के लिए चाहिए दुनिया की सबसे महंगी दवा, 8 हफ्ते के बच्चे को लगेगा 17 लाख पाउंड का इंजेक्शन
8 हफ्ते का मासूम जेनेटिक बीमारी 'स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी' से पीड़ित है. उसकी दवा के लिए एक एंजेक्शन की कीमत सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे. एक इंजेक्शन की कीमत 17 लाख पाउंड है.
![दुर्लभ बीमारी के लिए चाहिए दुनिया की सबसे महंगी दवा, 8 हफ्ते के बच्चे को लगेगा 17 लाख पाउंड का इंजेक्शन Eight-week-old boy with spinal muscular atrophy needs the most expensive drug दुर्लभ बीमारी के लिए चाहिए दुनिया की सबसे महंगी दवा, 8 हफ्ते के बच्चे को लगेगा 17 लाख पाउंड का इंजेक्शन](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/12/20202747/INJECTION.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
ब्रिटेन में 8 हफ्ते का मासूम जेनेटिक बीमारी 'स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी' से पीड़ित है. उसकी दवा के लिए एक एंजेक्शन की कीमत सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे. जेनेटिक बीमारी से ग्रसित होनेवाले बच्चे का नाम एडवर्ड है. उसके माता-पिता का कहना है जब बीमारी का पता चला तो उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने पेट में सुई चुभो दी हो. एक तरफ मासूम की बीमारी और दूसरी तरफ दवा की हैरतअंगेज कीमत.
एक इंजेक्शन की कीमत सुनकर उड़ जाएंगे होश
रिपोर्ट के मुताबिक, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज करनेवाली दवा का नाम Zolgensma है. उसके एक इंजेक्शन की कीमत 17 लाख पाउंड है. कोलचेस्टर में 36 वर्षीय पति जॉन हॉल के साथ रहनेवाली 29 वर्षीय मैगन ने कहा, "बीमारी की खबर हमारे लिए बिजली बनकर गिरी जिसने हमें अंदर से तोड़कर रख दिया, लेकिन हम हौसला नहीं हारेंगे. दवा की कीमत जितनी भी हो, मासूम की जान से ज्यादा कीमती नहीं हो सकती और हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह रकम इकट्ठी हो जाए." एडवर्ड के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग से रकम जुटाने के लिए मुहिम शुरू की है. पिछले महीने उन्हें क्राउडफंडिंग वेबसाइट के जरिए डोनेशन के रूप में 1 लाख 20 हजार पाउंड हासिल हुए हैं, लेकिन ये मदद बहुत छोटी है.
Zolgensma है दुनिया की सबसे महंगी दवा
Zolgensma को दुनिया की सबसे महंगी दवा माना जाता है. जीन थेरेपी ड्रग्स जैसे Zolgensma मेडिकल में एक नए युग का प्रतिनिधित्व करता हुआ नजर आ रहा है. दवा महंगी होनी की वजह से आशंका है कि नई दवा को मरीज छोड़ देते होंगे. Zolgensma यूरोप में मंजूर होनेवाली सिर्फ तीसरी जीन थेरेपी दवा है. तीन साल पहले तक एसएमए का कोई इलाज नहीं था. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में परीक्षण के दौरान 15 बच्चों का Zolgensma से इलाज किया गया. दवा के असर से सिर्फ 20 महीने की उम्र तक सभी बच्चे जीवित रह सके. इसके अलावा जिन 12 बच्चों को हाई डोज दिया गया, उनमें से 11 बिना सहायता के बैठ सके और दो खुद से चलने में सक्षण पाए गए.
बीमारी की 'टाइप 1' ज्यादा गंभीर शक्ल होती है. वक्त गुजरने के साथ बच्चे की कोशिकाएं नाकारा हो जाती है. आखिरकार बच्चा ज्यादा से ज्यादा 2 साल की उम्र तक जीवित रह पाता है. छाती की कमजोर कोशिकाओं के कारण बच्चा मौत के गले में समा जाता है. ब्रिटेन में हर साल 60 बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के साथ पैदा होते हैं. ब्रिटेन में Zolgensma इंजेक्शन अभी तक न तो सरकारी तौर पर न ही निजी तौर पर उपलब्ध है. उसे अमेरिका, जर्मनी, ब्राजील और जापान जैसे देशों से मंगाया जाना है.
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