El Nino Effect: इस साल दुनिया के कई देशों को अल नीनो (El Nino) का दुष्प्रभाव झेलना पड़ सकता है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के एक ताजा अपडेट के अनुसार, आने वाले महीनों में अल-नीनो के प्रभाव वाली घटना घटित हो सकती है. 


विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) यूनाइटेड नेशंस (UN) की एक एजेंसी है. इस एजेंसी ने अपने बयान में कहा है कि असामान्य रूप से बने रहे और लंबे समय तक चलने वाले ला-नीना के लगातार तीन वर्षों के बाद अल नीनो घटना विकसित हो सकती है, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तापमान और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करेगा.


..तो बिगड़ जाएगा बारिश का पैटर्न, बढ़ेगी गर्मी


कई मौसम विशेषज्ञों ने पहले भी अल नीनो की वापसी की संभावना जताई है, माना जा रहा है कि मार्च-मई के दौरान इसके आने की 90% संभावना है. WMO के अनुमान के मुताबिक, अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ENSO) न्‍यूट्रल कंडीशन की अवधि तक आगे बढ़ेगा. WMO के बयान में कहा गया है कि अल नीनो के विकसित होने की संभावना साल की पहली छमाही में कम, अप्रैल-जून में 15%, मई-जुलाई में धीरे-धीरे बढ़कर 35% हो जाती है. उसके बाद जून-अगस्त के दौरान अल नीनो के विकसित होने की संभावना 55% ज्‍यादा होती है, लेकिन साल की इस अवधि के लिए इस बार भविष्यवाणियां कुछ अलग हैं.


ट्रिपल-डिप ला नीना से लगा था वैश्विक तापमान पर ब्रेक


WMO के सेक्रेटरी जनरल पेटेरी टैलेस (General Petteri Taalas) ने कहा, ''21वीं सदी का पहला ट्रिपल-डिप ला नीना आने वाले कुछ समय में समाप्त हो रहा है. ला नीना के शीत-प्रभाव ने बढ़ते वैश्विक तापमान पर एक अस्थायी ब्रेक लगा दिया था, जबकि पिछले आठ साल की अवधि रिकॉर्ड स्‍तर पर सबसे गर्म थी." टैलेस ने कहा, "अगर हम अब अल नीनो चरण में प्रवेश करते हैं, तो इससे वैश्विक तापमान में एक और उछाल आने की संभावना है."


अल नीनो और जलवायु परिवर्तन के संयोजन के कारण वर्ष 2016 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है, जब तापमान कई देशों में रिकॉर्ड स्‍तर पर चला गया था. अब इस तरह के वैश्विक तापमान के 2026 में पनपने की संभावना है.


वहीं, ला-नीना की बात करें तो यह सितंबर 2020 में धीमे-धीमे शुरू हुआ और 2021 की गर्मियों में एक संक्षिप्त विराम दिया. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ला नीना उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण में परिवर्तन के साथ मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान के बड़े पैमाने पर शीतलन को संदर्भित करता है. यह आमतौर पर प्रभावित क्षेत्रों में अल नीनो के रूप में मौसम और जलवायु पर विपरीत प्रभाव डालता है.


बहरहाल, ला नीना अफ्रीका के ग्रेटर हॉर्न और दक्षिण अमेरिका के बड़े हिस्से में लगातार सूखे की अवधि में और दक्षिण पूर्व एशिया एवं आस्ट्रेलिया में औसत से अधिक वर्षा से जुड़ा हुआ है. 


क्‍या होते हैं अल नीनो और ला नीना?


अल नीनो और ला नीना घटना प्राकृतिक रूप से घटित होती हैं, लेकिन इनका संबंध मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन से भी है, जैसा कि धरती ग्‍लोबल वॉर्मिंग की चपेट में आ रही है, तो वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण अल नीनो और ला नीना का प्रभाव इंसानी बसावट के लिए ही बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. अल नीनो पहले भी मौसमी वर्षा पैटर्न को प्रभावित करता रहा है, इससे मौसम में ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जहां सर्वाइव करना हर किसी के बस का नहीं होता. 


पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से घटित घटनाओं में अल नीनो और ला नीना प्रमुख हैं, लेकिन केवल ये ही पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के वाहक नहीं हैं. हां, जब इनका दुष्प्रभाव पड़ता है, तो स्थिति बिगड़ती है. अब ला नीना समाप्त हो रहा है, तो मौसम के अपडेट देने वाली एजेंसियों की निगाहें आने वाले समय में अल नीनो की वापसी की संभावना पर हैं.


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