पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पहली बार सरकार बनाएगी. पीटीआई ने पीओके विधानसभा की 45 सीटों के लिए हुए चुनाव में से 25 सीटें जीती हैं. हालांकि, विपक्ष ने इस चुनाव में हिंसा और धांधली के आरोप लगाए हैं.
सरकारी ‘रेडियो पाकिस्तान’ ने निर्वाचन आयोग के अनौपचारिक नतीजों के हवाले से खबर दी है कि पीटीआई ने 25 सीटें जीती हैं, जबकि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 11 सीटें जीत कर दूसरे स्थान पर है और फिलहाल सत्ता पर काबिज पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को सिर्फ छह सीटें मिली हैं. पीटीआई को सरकार बनाने के लिए साधारण बहुमत मिल गया है और उसे किसी अन्य पार्टी के समर्थन की जरूरत नहीं है. यह पहली बार है जब पीटीआई पीओके में सरकार का गठन करेगी. परंपरागत रूप से देश की सत्ताधारी पार्टी ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनाव जीतती आयी है. वर्ष 2016 के चुनाव में पीएमएल-एन ने जीत हासिल की थी. मुस्लिम कांफ्रेंस (एमसी) और जम्मू कश्मीर पीपुल्स पार्टी (जेकेपीपी) को एक-एक सीट पर कामयाबी मिली है.
भारत ने किया था पाकिस्तान के फैसले का विरोध
भारत ने इससे पहले गिलगित-बाल्तिस्तान में चुनाव कराने के पाकिस्तान के फैसले का विरोध किया था और कहा था कि सेना के जरिए कब्जाए गए क्षेत्र की स्थिति को बदलने का कोई कानूनी आधार नहीं है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने पार्टी पर भरोसा जताने के लिये क्षेत्र के लोगों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा है लोगों के भरोसे की वजह से पीटीआई की जीत हुई है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम अपने एहसास और कामयाब पाकिस्तान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को गरीबी से निकालने पर ध्यान केंद्रित करेंगे और सरकार में जबावदेही तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे.’’ खान ने यह भी कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मसला उठाते रहेंगे.
फवाद चौधरी ने कही ये बात
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि पीटीआई की शानदार जीत प्रधानमंत्री खान में आम लोगों के भरोसे को प्रदर्शित करती है. सोमवार को चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि विपक्षी दलों को अपने नेतृत्व एवं राजनीति, दोनों पर विचार करना चाहिये.पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं - पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी और पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने आरोप लगाया कि पीटीआई ने धांधली के जरिए चुनाव जीता और उन्होंने रविवार को हुए चुनाव के नतीजों को खारिज कर दिया. भुट्टो ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग चुनावी नियमों का उल्लंघन करने पर पीटीआई के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘पीटीआई ने हिंसा और धांधली का सहारा लिया. इसके बावजूद पीपीपी 11 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है, जिसे पिछली बार केवल तीन सीटें मिली थीं.’’ बिलावल ने पार्टी के जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची भी साझा की.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त चुनाव की प्रक्रिया से संतुष्ट
पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने कहा कि उन्होंने परिणामों को स्वीकार नहीं किया है और न ही कभी स्वीकार करेंगी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने 2018 के नतीजों को न तो स्वीकार किया और न ही इस फर्जी सरकार को माना है.’’ हालांकि, उन्होंने चुनाव में ‘‘पीटीआई द्वारा हिंसा और धांधली’’ के बावजूद ‘‘अच्छी लड़ाई लड़ने’’ के लिए पीएमएल-एन के कार्यकर्ताओं की सराहना की. पीपीपी की उपाध्यक्ष और सीनेटर शेरी रहमान ने कहा, “ चुनाव में व्यवस्थित धांधली का साक्ष्य है.’’ हालांकि, क्षेत्रीय निर्वाचन आयोग ने आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ है.मुख्य निर्वाचन आयुक्त अब्दुल राशिद सुलेहरिया ने मीडिया को बताया कि चुनाव की प्रक्रिया से वह संतुष्ट हैं.
इन सीटों पर लड़ा गया चुनाव
पीओके विधानसभा में कुल 53 सीट है, लेकिन इनमें से 45 सीटों पर सीधे निर्वाचन किया जाता है जबकि पांच सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और तीन विज्ञान विशेषज्ञों के लिए हैं. सीधे चुने जाने वाले 45 सदस्यों में से 33 सीटें पीओके के निवासियों के लिए हैं और 12 सीटें शरणार्थियों के लिए हैं, जो बीते वर्षों में कश्मीर से यहां आए थे और पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बस गए है. क्षेत्र के 'प्रधानमंत्री' पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे पीटीआई के बैरिस्टर सुल्तान महमूद चौधरी चुनाव जीत गए हैं. पूर्व 'प्रधानमंत्री' और पीएमएल-एन नेता रजा फारूक हैदर अपनी सीट बरकरार रखी है. एक अन्य पूर्व 'प्रधानमंत्री' और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सरदार अतीक अहमद खान भी चुनाव जीत गए हैं. पीओके में सरकार के प्रमुख को ‘प्रधानमंत्री’ कहा जाता है. पीओके के विभिन्न जिलों की 33 सीटों पर कुल 587 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जबकि पाकिस्तान में बसे जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों की 12 सीटें पर 121 प्रत्याशी मैदान में थे.
पुलिस ने दी ये जानकारी
पुलिस ने बताया कि रविवार को कोटली जिले के चरहोई इलाके में एक मतदान केंद्र पर पीपीपी के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प में पीटीआई के कम से कम दो कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. पुलिस ने बताया कि अज्ञात लोगों ने दो कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी. वहीं, सेना ने एक बयान में बताया कि क्षेत्र के लासवा इलाके में एक घुमावदार पहाड़ी सड़क मार्ग पर नीचे एक खड्ड में वाहन के गिर जाने से उसमें सवार कम से कम चार सैनिकों की मौत हो गई, जबकि तीन सैनिक और एक आम नागरिक घायल हो गए. ये सभी चुनाव के दौरान शांति बनाए रखने में मदद के लिए तैनात सैनिकों में शामिल थे. सेना के अनुसार, घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है.
वहीं, एक अन्य घटना में झेलम घाटी जिले में एक मतदान केंद्र पर जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के हमले में पांच पुलिसकर्मी जख्मी हो गए. ‘जियो न्यूज’ के मुताबिक, पीएमएल-एन के उम्मीदवार चौधरी मोहम्मद इस्माइल गुर्जर ने रविवार को धमकी दी कि अगर स्थानीय प्रशासन उनकी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहता है, तो वह ‘‘भारत की मदद मांगेंगे.’’ इससे पहले उनकी पार्टी के मतदान एजेंटों को एक मतदान केंद्र से हटा दिया गया था. मतदान केंद्र पर से हटाये जाने के बाद एजेंटों की उपायुक्त के साथ तीखी बहस हुयी जिसके बाद मतदान की प्रक्रिया वहां रोक दी गयी.
जुलाई 2016 में हुआ था पीओके विधानसभा का पिछला आम चुना
पीओके विधानसभा का पिछला आम चुनाव जुलाई 2016 में हुआ था और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की इसमें जीत हुई थी. पीटीआई ने सभी 45 निर्वाचित क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि पीएमएल-एन और पीपीपी ने 44 सीटों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे. कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने 40 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. पाकिस्तान सरकार ने अप्रैल में हिंसक गतिविधियों में संलिप्तता के लिए टीएलपी पर पाबंदी लगा दी थी. प्रतिबंध के बावजूद पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग द्वारा टीएलपी का पंजीकरण रद्द नहीं किया गया था, जिसके कारण वह चुनावों में हिस्सा ले पायी. पार्टियों के उम्मीदवारों के अलावा 33 सीटों पर मुकाबले में कुल 261 निर्दलीय भी थे.
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