म्यांमार में नरसंहार के तत्वों की मौजूदगी संभव: UNHRC प्रमुख
सेना की अगुवाई में दमनात्मक कार्रवाई के चलते करीब 6,20,000 मुस्लिम अल्पसंख्यकों को पिछले कुछ महीनों में उत्तरी राखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश में शिविरों में शरण लेनी पड़ी है.
जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के प्रमुख ने म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की नयी अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया और देश में नरसंहार के संभावित तत्वों की मौजूदगी की चेतावनी दी.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख जेद राद अल हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में रोहिंग्याओं के उत्पीड़न पर स्पेशल सेशन में रोहिंग्याओं के खिलाफ व्यापक, व्यवस्थित और नृशंस हमलों के अलावा सालों से चले आ रहे भेदभाव की निंदा की.
सेना की अगुवाई में दमनात्मक कार्रवाई के चलते करीब 6,20,000 मुस्लिम अल्पसंख्यकों को पिछले कुछ महीनों में उत्तरी राखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश में शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. वैसे म्यांमार की सेना ने संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के इस आरोप से इंकार किया कि उन्होंने रोहिंग्यों के विरुद्ध जातीय सफाया अभियान चलाया.
लेकिन जेद ने उन नीतियों की निंदा की जिनकी वजह से इस अल्पसंख्यक समुदाय की अमानवीय दशा हो गयी और वह दशकों से बिना किसी देश का नागरिका बन गया. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में म्यामांर के राजदूत हतिन लीन ने इन आरोपों का जवाब नहीं दिया लेकिन इतना जरुर कहा कि बांग्लादेश की सीमा से सटे क्षेत्र में मानवीय स्थिति चिंताजनक है और उनका देश इस मुद्दे के समाधान के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है.
उन्होंने कहा कि मेरी सरकार व्यक्तिगत (हिंसात्मक) हरकतों को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है. मानवाधिकार परिषद का ये सत्र बांग्लादेश और सऊदी अरब के अनुरोध पर बुलाया गया था. इसे परिषद के 33 सदस्यों का समर्थन था.