Tesla CEO Elon Musk: टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने एक सुझाव दिया है कि ताइवान (Taiwan) को चीन (China) का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बनाया जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि ताइवान का कुछ हिस्सा चीन को सौंपा जा सकता है, जिससे इनका झगड़ा खत्म हो सकता है. अब उनके इस सुझाव पर ताइवान और चीन से प्रतिक्रिया सामने आई है. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के प्रवक्ता हुआंग त्साई-लिन ने शनिवार को कहा कि मस्क की टिप्पणी न केवल राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है बल्कि लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंचाती है.


वहीं चीन के राज्य द्वारा संचालित सेंट्रल टेलीविज़न न्यूज़ ने एक लेख जारी किया, जिसका शीर्षक था, "चीन-ताइवान मुद्दे पर बात करने के लिए मस्क ने लाइन को क्रॉस किया है." लेख में बताया गया है कि देश के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, प्रवक्ता माओ निंग ने मस्क के अनुचित बयान के बारे में एक सवाल का जवाब दिया.


'ताइवान मुद्दा चीन की घरेलू राजनीति है'


माओ ने अपने जवाब में दावा किया कि "ताइवान मुद्दा चीन की घरेलू राजनीति है. चीन विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप को पूरी तरह से दबा देगा." इस बीच, हुआंग ने कहा कि मस्क चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के कदाचार की निंदा नहीं करते हैं, बल्कि वह "ताइवान की स्वतंत्रता का त्याग करके, सत्तावादी शासकों की असीम महत्वाकांक्षाओं की पूरी तरह से अनदेखी करते हैं."


'वे एक ऐसा समझौता कर सकते हैं'


फाइनेंशियल टाइम्स के साथ शुक्रवार (7 अक्टूबर) को एक साक्षात्कार में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति ने चीन के प्रशंसक होने की बात स्वीकार की. मस्क ने यह भी कहा, 'मेरा मानना है कि इस तरह का प्लान संभव है. वे एक ऐसा समझौता कर सकते हैं जो हॉन्ग कॉन्ग की तुलना में ज्यादा बेहतर होगा.'


ताइवान न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, कुओमिन्तांग, न्यू पावर पार्टी और ताइवान पीपुल्स पार्टी सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के राजनेताओं ने मस्क की टिप्पणी की निंदा करते हुए बयान जारी कर नाराजगी जताई. अधिकांश सहमत थे कि मस्क बड़े पैमाने पर व्यावसायिक हितों और चीन में उनके दांव से प्रेरित हैं और इसलिए क्रॉस-स्ट्रेट मुद्दों के बारे में एक व्यक्तिपरक दृष्टिकोण रखते हैं.


वहीं हुआंग ने कहा कि सीसीपी (Chinese Communist Party) की कार्रवाई से वैश्विक और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा है और अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों ने इस तरह के व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया है और संयुक्त रूप से उनकी निंदा की है. ताइवान में तनाव पूरी तरह से सीसीपी की यथास्थिति को एकतरफा बदलने की इच्छा के कारण है.