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39 के मैक्रोन बने फ्रांस के सबसे युवा राष्ट्रपति, सोनिया गांधी समेत दुनियाभर के नेताओं ने दी बधाई
पेरिस: फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव में किसी राजनीतिक पार्टी से ताल्लुक नहीं रखने वाले इमानुएल मैक्रोन ने जीत दर्ज कर ली है. 39 साल के मैक्रोन ने देश के सबसे युवा राष्ट्रपति होने का ख़िताब भी अपने नाम कर लिया है. देश में रविवार को हुए अंतिम दौर के चुनाव में मैक्रोन ने धुर दक्षिणपंथी उम्मीदवार मरीन ले पेन को हराकर जीत हासिल की है.
मैक्रोन को 2.07 करोड़ वोट मिले हैं जबकि ले पेन को 1.06 करोड़ वोट मिले. फ्रांस के गृह मंत्रालय के हवाले से बताया गया है कि मैक्रोन को कुल 66.06 फीसदी वोट मिले जबकि ले पेन 33.94 फीसदी वोट मिले.
भारत समेत दुनिया भर के नेताओं ने मैक्रोन को बधाई दी
फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में जीत मिलने के बाद दुनिया भर के नेताओं ने इमानुएल मैक्रोन को बधाई दी है. सोनिया गांधी ने मैक्रोन को बधाई देते हुए फ्रांस की जनता को भी अपनी शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा, "भारत और फ्रांस स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को साझा करते हैं.’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने उम्मीद जताई है कि भारत-फ्रांस के ऐतिहासिक संबंध पहले से और बेहतर होंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘फ्रांस के अगले राष्ट्रपति के रूप में मिली बड़ी जीत पर इमानुएल मैक्रोन को बधाई. मैं उनके साथ काम करने को लेकर उत्सुक हूं.’’
मैक्रोन को बधाई देने वाले पहले कुछ नेताओं में शामिल ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा में की ओर से डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री निर्वाचित राष्ट्रपति मैक्रोन को उनकी चुनावी जीत पर बधाई देती हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘फ्रांस हमारा करीबी सहयोगी है और हम नये राष्ट्रपति के साथ काम करने को बहुत उत्सुक हैं.’’
वहीं, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता स्टेफन सेइबर्ट ने ट्विटर पर फ्रेंच और जर्मन में लिखा की मैक्रोन की जीत एक मजबूत यूरोप के लिए अच्छे संकेत हैं.
पहले चरण में 9 उम्मीदवारों को हराकर दूसरे चरण में पहुंचे थे मैक्रोन और ले पेन
बताते चलें कि दो चरणों में हुए फ्रांस के चुनाव में पहले चरण में कुल 11 उम्मीदवार थे, जिनमें से ले पेन और मैक्रोन ने दूसरे चरण में जगह बनाई. फ्रांस का राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक वोट चाहिए होते हैं. आम तौर पर पहले चरण में किसी उम्मीदवार को इतने वोट नहीं मिल पाते हैं और इसी वजह से दूसरे चरण का चुनाव होता है.
एक तरफ जहां ले पेन अपने पिता की पार्टी नेशनल फ्रंट का नेतृत्व कर उसे दूसरे चरण में ले गईं तो वहीं दूसरी तरफ बिना किसी राजनीतिक पार्टी के फ्रांस का राष्ट्रपति चुनाव जीतकर मैक्रोन ने इतिहास रच दिया. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मैक्रोन पहले ऐसे नेता हैं जो दो प्रमुख दल सोशलिस्ट या रिपब्लिकन पार्टी से नहीं हैं.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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