इमैनुएल मैक्रों ने मुसलमानों को लेकर उठाया ये कदम, बढ़ा विवाद, जानिए पूरा मामला
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश के मुस्लिम नेताओं से ‘चार्टर ऑफ रिपब्लिकन वैल्यूज’ पर सहमति देने के लिए कहा है. इसी को लेकर विवाद है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने बयान और फैसलों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं.य अब एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया है जिसकी वजह से उनका विरोध हो रहा है. दरअसल वह इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए अपनी नई योजना को लेकर मुस्लिम देशों के निशाने पर आ गए हैं.
क्या है नई योजना
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश के मुस्लिम नेताओं से ‘चार्टर ऑफ रिपब्लिकन वैल्यूज’ पर सहमति देने के लिए कहा है. इसी को लेकर विवाद है.
क्या है इसमें
चार्टर के मुताबिक, इस्लाम एक धर्म है और इससे किसी भी तरह के राजनीतिक आंदोलन को जोड़ा नहीं जा सकता है. चार्टर के तहत, फ़्रांस के मुस्लिम संगठनों में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया जाएगा. इसको लेकर फ्रेंच काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फेथ (सीएफसीएम) को 15 दिनों का अल्टीमेटम भी दिया है.
इसके अलावा इमामों को फ्रेंच भाषा आने की अनिवार्यता होगी और एकेडेमिक डिग्रियां भी जरूरी होंगी. मैक्रों को उम्मीद है कि नेशनल काउंसिल ऑफ इमाम्स के बनने के साथ ही चार सालों के भीतर तुर्की, मोरक्को और अल्जीरिया के करीब 300 इमामों को हटाया जा सकेगा.इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों से धार्मिक आधार पर किसी तरह की बहस करने वालों के खिलाफ भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा भी कई तरह के नियमों की बात चार्टर में की गई है. जिनमें घर पर शिक्षा न देने की बात भी शामिल है. मैक्रों के इस चार्टर की मुस्लिम देशों में आलोचना हो रही है. पाकिस्तान की लेखिका फातिमा भुट्टो ने फ्रांस की सरकार के इन कदमों को उत्तेजित करने वाला और अविश्वास बढ़ाने वाला बताया है. द काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन्स (सीएआईआर) ने भी मैक्रों की आलोचना की है.