लंदन: ब्रिटेन में मनी लॉंड्रिंग के लिए जिम्मेदार दो भारतीयों को 12 साल की सजा मिली है. 32 वर्षीय विजय कुमार और 44 वर्षीय चंद्रशेखर नालायन के खिलाफ जांच के बाद अदालत ने फैसला सुनाया. विजय कुमार कृष्णास्वामी को पांच साल और नौ महीने की सजा मिली जबकि चंद्रशेखर को सात साल की जेल हुई.
फैसले के बाद जांच अधिकारी मिलेना बिंगले ने कहा, “बेशर्म दोनों लोगों ने पीड़ितों को जबरदस्त तकलीफ पहुंचाई है. ये सजा उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो समझते हैं कि मनी लॉंड्रिंग से पैसा कमाकर बच जाएंगे. मनी लॉंड्रिंग के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़कर उनके अपराध की सजा दिलाई जाएगी." उन्होंने बताया कि ये बहुत ही पेचीदा केस था. साइबर सुरक्षा कर्मियों और बैंकों को जांच में सहयोग देने के लिए उन्होंने धन्यवाद दिया.
2018 में बार्कलेज बैंक ने पुलिस को एक रिपोर्ट भेजी थी. जिसमें बताया गया था कि कई आईपी एड्रेस से बैंक के अकाउंट्स तक रिसाई हासिल हो रही है. हो सकता है इसके पीछे साइबर अपराधियों की मंशा मनी लॉंड्रिंग की हो. पुलिस ने जांच के लिए एक ऑपरेशन चलाया. जिसका नाम ऑपरेशन पालकला रखा गया.
अधिकारियों ने साइबर सुरक्षा कर्मियों की मदद से जांच शुरू की. इस क्रम में उन्होंने संदिग्ध आईपी एड्रेस का पता लगाया. पब्लिक प्राइवट पार्टनरशिप की मदद से वित्तीय क्षेत्र के संगठित अपराध का पुलिस ने भांडाफोड़ किया. पिछले साल 2 मई को सर्च वारंट जारी होने के बाद विजय कुमार कृष्णास्वामी को गिरफ्तर कर लिया गया. उसने ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए अकाउंट्स तक पहुंच की बात स्वीकार की. उसने माना कि बैंक अकाउंट्स की मॉनिटरिंग करते हुए मिले निर्देश के बाद रकम को ट्रांसफर किया गया.
उनके घोटाले की शिकार दुनिया भर की 24 कंपनियां थीं. उन्हें फर्जी ईमेल के जरिए उनके ग्राहक होने के बारे में सूचित किया जाता. कंपनी को लगता कि उनका मामला उनके वास्तविक ग्राहक से हो रहा है. जब उनके वास्तविक ग्राहक सामने आए तब घटना का पता चला. मगर तब तक कुल 2.4 मिलियन पॉंड्स की रकम ब्रिटेन से बाहर संदिग्ध अकाउंट्स में ट्रांसफर की जा चुकी थी. जिन्हें दोबारा हासिल नहीं किया जा सका.