Bangladesh News: बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद भी वहां के हालात सामान्य नहीं हुए हैं. मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद सूफी दरगाहों पर लगातार हमले हो रहे हैं. बीते साल अगस्त के बाद से हिज्ब-उत-तहरीर और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपरंथी गुटों ने 100 से ज्यादा सूफी दरगाहों को निशाना बनाया है. वहीं, मोहम्मद यूनुस की सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
बांग्लादेश में 100 से ज्यादा दरगाहों पर हमले में अभी तक सिर्फ 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिससे धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है.
3 से 6 करोड़ के बीच हैं सूफी इस्लाम को मनाने वाले
सूफी इस्लाम के मानने वालों की संख्या बांग्लादेश में 3 से 6 करोड़ के बीच मानी जाती है. इसके अलावा यहां पर पीरों और सूफी आध्यात्मिक उस्तादों की 12,000 से ज्यादा मजारें और करीब 17,000 दरगाहें हैं. पूरे देश में ये मजारें फैली हुई हैं. शेख हसीना के हटने बाद से ही सूफी समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब जैसे गुट सूफीवाद का विरोध करते हैं और अब वो इन पर हमला कर रहे हैं.
'दे रहे हैं खुलेआम धमकियां'
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन के नेता हसन शाह सुरेश्वरी दीपू नूरी ने कहा, "कट्टरपंथी सूफी दरगाहों को खत्म करने की धमकी दे रहे हैं. वे कह रहे हैं कि दरगाहों को कव्वाली होती है और गाना-नाचना इस्लाम विरोधी है. इस वजह से ये खत्म होना चाहिए.' ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन 5,000 दरगाहों और उनके अनुयायियों का प्रतिनिधित्व करता है.
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से ही सूफी दरगाहों को निशाना बनाया जाने लगा था. 6 सितंबर को कट्टरपंथियों की भीड़ ने सिलहट में हजरत शाह पोरान दरगाह को निशाना बनाया गया था. जमात-ए-इस्लामी ने इसके बाद सूफी दरगाहों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिस वजह से हमले और ज्यादा बढ़ गए थे.
सरकार नहीं उठा रही है कोई कदम
यूनुस सरकार ने सूफी दरगाहों पर हमलों को मामले में अभी तक सिर्फ 20 गिरफ्तारियां की हैं, जो इन हमलों को रोकने के लिए काफी नहीं है. सूफी समुदाय ने सरकार से सुरक्षा की मांग की है. हालांकि सरकार की प्रतिक्रिया अभी तक इसको लेकर सकरात्मक नहीं रही है, जिससे समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है.