Covid-19: यूरोप में हर 17 सेकंड पर संक्रमण की पेचीदगी के चलते एक शख्स की मौत- WHO
यूरोप में कोविड-19 की पेचीदगी से हर 17 सेकंड पर एक शख्स की जान जा रही हैWHO ने उपायों और लॉकडाउन को प्रभावी बताते हुए आंकड़ों पर चिंता जताई है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि यूरोप में हर 17 सेकंड पर कोरोना वायरस से एक की मौत हो रही है. हालिया आंकड़े ने एक बार फिर यूरोप को कोविड-19 महामारी का केंद्र बना दिया है. पिछले हफ्ते यूरोप में 29 हजार कोविड- 19 से मौत के नए मामले दर्ज किए गए. विशेषज्ञों का कहना है कि मौत के आंकड़े में 18 फीसद की बढ़ोतरी हुई. इसका मतलब हुआ कि हर 17 सेकंड में एक शख्स की कोरोना वायरस जिंदगी लील रहा है.
यूरोप में हर 17 सेकंड पर कोविड-19 से एक मौत
WHO के यूरोपीयन डायरेक्टर हन्स लेग ने कहा कि दुनिया भर में संक्रमण के मामले में यूरोप का आंकड़ा 28 फीसद है. उन्होंने गुरुवार को ब्रीफिंग में साफ-सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सुरक्षात्मक उपायों के महत्व पर जोर डाला. चिंताजनक खबर के बावजूद सरकारों की तरफ से कुछ उत्साहजनक संकेत देखने को मिल रहे हैं. सरकारों के वायरस को फैलने से रोकने के उपायों का प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है. पिछले हफ्ते, महाद्वीप में साप्ताहिक कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या में पहली बार तीन महीनों में गिरावट देखने को मिली.
नए साप्ताहिक संक्रमण के मामलों में 10 फीसद की कमी के साथ कुल 1. 8 मिलियन संख्या पहुंच गई. उससे पहले के हफ्ते में संख्या 2 मिलियन थी. इससे संकेत मिलता है कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में लागू सख्त लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा, "अच्छी खबर और बुरी खबर भी है." उन्होंने संक्रमण मामलों में गिरावट को छोटा संकेत बताया. उन्होंने इसके पीछे यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन समेत अन्य उपायों को वजह बताई है. लेकिन उन्होंने देशों को जल्दी पाबंदी उठाने से सावधान किया. उन्होंने कहा कि गर्मी की तरह तेजी से उपायों के उठा लेने से छोटा फायदा गायब हो सकता है.
WHO ने सुरक्षात्मक उपायों को बताया प्रभावी
डॉक्टर लेग ने जोर देते हुए कहा कि अंधेरे के बाद उजाला है और हमें सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और मास्क पहनने के महत्व को कमतर नहीं आंकना चाहिए. उन्होंने बताया कि अगर 95 फीसद आबादी मास्क का इस्तेमाल करने लगे तो फिर से लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ेगी. उनका कहना था कि प्राथमिक स्कूलों को दूसरी लहर के दौरान खुले रखना चाहिए. उन्होंने स्कूलों को बंद करने को कोरोना संक्रमण की रोकथाम में प्रभावी नहीं माना क्योंकि बच्चे कोरोना वायरस नहीं फैलाते हैं.
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