यूरोप-जापान के साझा स्पेस मिशन BepiColombo ने भेजी बुध ग्रह की पहली तस्वीरें, तीन साल पहले किया गया था लॉन्च
इन तस्वीरों में बुध ग्रह का नॉदर्न हेमिस्फेअर (northern hemisphere) का क्षेत्र नजर आ रहा है. जिसमें लावे से भरा हुआ एक स्थान और कई बड़े और गहरे गड्ढे नजर आ रहे हैं.
यूरोप और जापान के साझा स्पेस मिशन के तहत लॉन्च किए गए BepiColombo स्पेसक्राफ्ट ने बुध (Mercury) ग्रह की पहली तस्वीरें भेजी हैं. यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. इस मानव रहित (unmanned) मिशन को Ariane 5 रॉकेट में लगभग तीन साल पहले लॉन्च किया गया था. स्पेस एजेंसी के मुताबिक, BepiColombo स्पेसक्राफ्ट में मौजूद कैमरों ने बुध ग्रह की ये पहली ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें भेजी हैं.
इसके बाद यूरोपीयन स्पेस एजेंसी ने बुध ग्रह की और तस्वीरें भी जारी की जिसकी जानकारी BepiColombo के आधिकारिक ट्विटर हेंडल पर दी गई. एजेन्सी ने इस बारे में पोस्ट करते हुए लिखा, "हमें पता है कि हम बुध ग्रह की पहली तस्वीरें पहुंचाने में लेट हुए हैं, लेकिन अब आपको लगातार नई नई तस्वीरें मिलती रहेंगी. इसमें देरी नहीं होगी. आप यहां बुध ग्रह की इन नई तस्वीरों को देख सकते हैं."
इन तस्वीरों में बुध ग्रह का नॉदर्न हेमिस्फेअर (northern hemisphere) का क्षेत्र नजर आ रहा है. जिसमें लावे से भरा हुआ एक स्थान और कई बड़े और गहरे गड्ढे नजर आ रहे हैं. इस मिशन की स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन्स मैनेजर एल्सा मोंटाग्नोन (Elsa Montagnon) ने बताया, "आखिरकार तस्वीरों में बुध ग्रह को देख पाना रोमांच से भरा हुआ था. ये एक बेहद ही शानदार अनुभव है."
बुध ग्रह के रहस्यों को सुलझाएगा ये मिशन
यूरोपीयन स्पेस एजेंसी ने बताया, " BepiColombo स्पेस मिशन इस रहस्यमयी बुध ग्रह के अंदरूनी से लेकर ऊपरी सतह, यहां मौजूद मैग्नेटिक फील्ड की गहन स्टडी करेगा. हमारी कोशिश इस मिशन के जरिये सूर्य के सबसे नजदीक मौजूद इस बुध ग्रह के ऑरिजिन और इसके इवोल्यूशन के बारे में जानना है."
इस कारण सीधे बुध पर नहीं भेजा जा सकता स्पेसक्राफ्ट
BepiColombo स्पेसक्राफ्ट अभी पांच बार और बुध ग्रह के नजदीक से होकर गुजरेगा. इस दौरान ये शुक्र ग्रह के साथ साथ पृथ्वी के नजदीक से भी गुजरेगा. सूर्य के मजबूत खिंचाव को देखते हुए इस स्पेसक्राफ्ट को सीधे सीधे बुध ग्रह पर नहीं भेजा जा सकता था. सीधे बुध ग्रह पर भेजने के लिए इस स्पेसक्राफ्ट में एक बेहद ही मजबूत और बड़े ब्रेकिंग सिस्टम की जरुरत होती जिसके लिए बहुत अधिक मात्रा में इंधन की जरुरत पड़ती. इस स्पेसक्राफ्ट के साइज को देखते हुए ये मुमकिन नहीं था. ये मिशन अभी पांच साल और चलेगा.
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