Salsa Satellite: यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) का एक पुराना सैटेलाइट पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है. इस पुराने सैटेलाइट की पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री 8 सितंबर 2024 को होगी. पृथ्वी के वायुमंडल में आते ही यह सैटेलाइट जलने लगेगा. इसी वजह से स्पेस एजेंसी इसे कंट्रोल्ड तरीके से गिराने की कोशिश कर रही है, ताकि अंतरिक्ष में इसकी वजह से कचरा न फैले. यूरोपियन स्पेस एजेंसी की कोशिश इस सैटेलाइट को दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिराने की है. 


अगर सब सही रहा तो यह सैटेलाइट प्रशांत महासागर में गिरेगा. करीब 1.30 लाख किलोमीटर की दूरी तय करके सालसा सैटेलाइट पृथ्वी पर आएगा. पिछले साल भी इसी एजेंसी ने Aeolus वेदर सैटेलाइट को धरती पर नियंत्रित तरीके से गिराया था. किसी सैटेलाइट को नियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर लाने को गाइडेड री-एंट्री कहते हैं, ताकि यह आबादी वाले क्षेत्र पर ना गिरे. 


चार  सैटेलाइट्स एक साथ भेजे गए थे अंतरिक्ष में


यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने साल 2000 से चार एक जैसे सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे. इनके नाम सालसा, रंबा, टैंगो और सांबा हैं. ये नाम डांस फॉर्म पर रखे थे. इन सैटेलाइट का काम धरती की मैग्नेटिक फील्ड पर नजर रखना था. अंतरिक्ष में इन चारों का एक क्लस्टर बनाया गया था. 


अभी तक भेज रहे थे डाटा


इन क्लस्टर की लाइफ 2 साल थी, लेकिन सैटेलाइट्स (सालसा को छोड़कर) अब तक काम कर रहे है. इन चारो ने करीब 24 साल तक डाटा भेजा है. स्पेस एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर 2002 में चारों सैटेलाइट्स के क्लस्टर्स को रिटायर घोषित कर दिया था. इसके बाद चारों को अंतरिक्ष में घूमने के लिए छोड़ दिया गया था. बता दें कि  ESA ने अंतरिक्ष में बढ़ रहे कचरे को ध्यान में रखते हुए सालसा को गाइडेड री-एंट्री कराने की योजना बनाई थी.