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European Union elections : EU के चुनावों में दक्षिणपंथी पार्टियों का जलवा, जियोर्जिया मेलोनी की सीट हुई डबल

European Union elections : यूरोपीय संघ के संसदीय  चुनावों में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी.

European Union elections : यूरोपीय संघ के संसदीय  चुनावों में दक्षिणपंथी दलों ने कई देशों की सत्तारूढ़ सरकारों की भारी नुकसान पहुंचाया और रविवार को हुए चुनावों में बड़ी सफलता दर्ज की. इस चुनाव में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. कुल 27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ में सत्ता की चाबी अब दक्षिणपंथी दलों के हाथों में खिसकती हुई नजर आई. इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की पार्टी को भी काफी फायदा हुआ. उनकी सीट यूरोपीय संघ संसद में दोगुनी हो गई.

वहीं, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर की पार्टियों को हार का सामना करना पड़ा है. अब 27 देशों के ब्लॉक की संसद की सदस्यता स्पष्ट रूप से दक्षिणपंथी हो गई. फ्रांस में मैरीन ले पेन की नेशनल रैली पार्टी ने मैक्रों को इतनी करारी हार दी कि फ्रांसीसी नेता ने  विधानसभा चुनाव कराने की बात कही, जो एक जोखिम भरा कदम है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे उनकी पार्टी को और अधिक नुकसान हो सकता है. उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के 3 वर्ष प्रभावित हो सकते हैं. 

जर्मनी की अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी को घोटाले का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने चांसलर ओलाफ शोल्ज की सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी को मात द दी. जर्मनी में दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने दूसरा स्थान प्राप्त किया, जो अगले वर्ष होने वाले संघीय चुनाव से पहले पार्टी की मजबूती को दर्शाता है. यूरोसेप्टिक पार्टी को 16 प्रतिशत से अधिक वोट मिलने का अनुमान था, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. स्कोल्ज़ के गठबंधन में शामिल सभी 3 पार्टियों की तुलना में इसे अधिक वोट मिले. संघीय स्तर पर विपक्ष में रहने वाले क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन और क्रिश्चियन सोशल यूनियन का गठबंधन लगभग 30 प्रतिशत वोट के साथ शीर्ष पर रहा. 

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी चुनाव में करारी शिकस्त
संसदीय चुनावों में फ्रांस में मैरीन ले पेन की नेशनल रैली पार्टी ने दबदबा कायम रखा, जिसके कारण मैक्रों ने राष्ट्रीय संसद को तुरंत भंग कर चुनावों की घोषणा कर दी.मैक्रों के लिए यह बड़ा राजनीतिक जोखिम है, क्योंकि उनकी पार्टी को और अधिक नुकसान सहना पड़ सकता है. ले पेन ने कहा कि हम देश को बदलने, फ्रांस के हितों की रक्षा करने और बड़े प्रवासन की समस्या समाप्त करने के लिए तैयार हैं. मैक्रों ने कहा कि मैंने आपका संदेश, आपकी चिंताएं सुनी हैं और मैं उनका उत्तर जरूर दूंगा. फ्रांस को शांति और सद्भाव से काम करने के लिए स्पष्ट बहुमत की आवश्यकता है. शीघ्र चुनाव कराने से लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित होगी. 

इन पार्टियों का बढ़ा वोट प्रतिशत
जर्मनी की ग्रीन पार्टी को सबसे अधिक नुकसान हुआ, जो 8.5 प्रतिशत अंक गिरकर 12 प्रतिशत पर आ गई, क्योंकि मतदाताओं ने उन्हें CO2 उत्सर्जन को कम करने की नीतियों की लागत के लिए दंडित किया . स्कोल्ज़ की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी), व्यापार समर्थक फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) को 14 प्रतिशत और 5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है, जो पिछले चुनाव में 15.8 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत से कम है. एएफडी का मजबूत प्रदर्शन ऐसे समय में आया है, जब जर्मनी की पार्टी में काफी उथल-पुथल दिख रही है. एएफडी की नेता एलिस वीडेल ने रविवार को कहा कि हमने अच्छा काम किया है, क्योंकि लोग अधिक यूरोप-विरोधी हो गए हैं. 

अवैध प्रवासन पर रोक लगाने का किया वादा
वहीं, ऑस्ट्रिया में अति दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी को लगभग 26 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए, जो पहली बार किसी राष्ट्रव्यापी मतदान में शीर्ष स्थान पर रही. सत्तारूढ़ रूढ़िवादी पीपुल्स पार्टी (ओईवीपी) को 24 प्रतिशत से अधिक वोट मिले, इसके बाद सोशल डेमोक्रेट्स को लगभग 23 प्रतिशत तथा ग्रीन्स को लगभग 11 प्रतिशत वोट मिले. चांसलर नेहामर ने इस वर्ष के अंत में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों से पहले मतदाताओं की चिंताओं को दूर करने का वचन दिया, जिसमें अवैध प्रवासन पर रोक लगाना भी शामिल है. 

जियोर्जिया मेलोनी की पार्टी हुई मजबूत
इसी बीच इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की स्थिति मजबूत हो गई है, क्योंकि उनकी दक्षिणपंथी लोकलुभावन पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली की संसद में सीटें दोगुनी से अधिक हो गई हैं. नीदरलैंड में भी दक्षिणपंथी दलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जहां गीर्ट वाइल्डर्स की आव्रजन विरोधी पार्टी फॉर फ्रीडम को 6 सीटें मिलने का अनुमान है, जो कि मध्य-वाम और ग्रीन पार्टियों द्वारा जीती गई कुल सीटों से केवल 2 सीटें कम है. स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड में दक्षिणपंथी और लोकलुभावन दलों के वोट शेयर में गिरावट देखी गई. हंगरी में प्रधान मंत्री विक्टर ओर्बन की राष्ट्रवादी फ़िडेज़ ने सबसे अधिक वोट जीते, लेकिन 2019 के चुनावों की तुलना में महत्वपूर्ण आधार खो दिया. 

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