French Presidential Election: राष्ट्रपति पद का चुनाव दोबारा जीत लेने के बाद भी इमैनुएल मैक्रों की चुनौतियां कम नहीं होने जा रही है. चुनाव जीतने के अगले ही दिन कट्टरपंथी दलों ने मतदाताओं से उन्हें संसदीय बहुमत से वंचित करने का आह्वान किया. एक विभाजित देश को एकजुट करने वाली ताकत के रूप में कड़ी मेहनत करने का संकल्प लेने वाले मैक्रों ने कहा कि उनका दूसरा जनादेश अलग होगा. पिछले कार्यकाल में उनके मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग उनसे दूर हो गया.
इमैनुएल मैक्रों को अब जून में होने वाले संसदीय चुनाव में फिर से जीत हासिल करनी होगी. यदि वह ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें अपने व्यवसाय-समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करना होगा, जिसमें रिटायरमेंट की आयु को करने जैसी अलोकप्रिय योजनाएं भी शामिल हैं. दक्षिण और वाम के वरिष्ठ राजनेताओं ने मतदाताओं से इन सुधारों पर रोक लगाने की अपील की है.
नेशनल रैली की लोगों से अपील
मरीन ले पेन के एक करीबी सहयोगी जॉर्डन बार्डेला ने कहा, "पूरी शक्ति इमैनुएल मैक्रोन के हाथों में मत छोड़ो." उन्होंने वोटर्स से 12 और 19 जून को होने वाले दो चरणों के संसदीय वोट में धुर दक्षिण पार्टी नेशनल रैली का समर्थन करने की अपील की. ले पेन के प्रवक्ता सेबेस्टियन चेनू ने बीएफएम टीवी को बताया, "अगर आप ऐसे पुरुष और महिलाएं चाहते हैं जो इमैनुएल मैक्रों की नीतियों की क्रूरता से आपकी रक्षा करें, तो आपको नेशनल रैली के सांसदों का चुनाव करना चाहिए."
मैक्रों के पहले कार्यकाल में बढ़ा लोगों में असंतोष
मैक्रों के पहले कार्यकाल के दौरान फ्रांस की बेरोजगारी दर 13 वर्षों में सबसे कम हो गई, और इसकी अर्थव्यवस्था ने अन्य बड़े यूरोपीय देशों के साथ-साथ व्यापक यूरो क्षेत्र को भी पीछे छोड़ दिया. लेकिन उनके व्यापार-समर्थक और सुरक्षा सुधारों ने बहुत असंतोष पैदा किया, और मैक्रों ने एक कम महत्वपूर्ण विक्ट्री स्पीच में स्वीकार किया कि कई लोगों ने उन्हें मुख्य रूप से अपने धुर दक्षिण विरोधियों चुनौती देने वाले को विफल करने के लिए वोट दिया था.
राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में ले पेन के ठीक पीछे तीसरे स्थान पर रहने वाले हार्ड लेफ्ट के जीन-ल्यूक मेलेनचॉन ने कहा कि मैक्रों "डिफ़ॉल्ट रूप से" चुने गए. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा, "हार मत मानो आप मैक्रों को (संसद चुनाव में) हरा सकते हैं और दूसरा रास्ता चुन सकते हैं.”
जोखिमों से भरी राह
हाल के फ्रांसीसी चुनावों में, राष्ट्रपति की पार्टी ने हमेशा संसद में बहुमत हासिल किया है. क्या इस बार परिणाम अलग होगा. मैक्रों के पास किसी अन्य पार्टी के प्रधानमंत्री को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो परंपरागत रूप से गठबंधन की तनावपूर्ण अवधि होती है, जिसके दौरान राष्ट्रपति की शक्तियों पर गंभीर रूप से अंकुश लगाया होता है. गठबंधन (cohabitation) के दौरान, राष्ट्रपति सशस्त्र बलों का प्रमुख बना रहता है और कुछ विदेश नीति के प्रभाव को बरकरार रखता है लेकिन सरकार के पास राज्य और नीति के दिन-प्रतिदिन के अधिकांश मामलों की जिम्मेदारी होती है.
रविवार के अंतिम परिणामों से पता चला कि मैक्रोन ने 58.54% वोट हासिल किए जिससे वह एक स्पष्ट जीत हासिल कर सके, हालांकि नतीजों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि धुर दक्षिणपंथियों को अब तक के सबसे अधिक वोट हासिल हुए.
मैक्रों के लिए चुनौतियों भरी डगर
मैक्रों और उनके सहयोगियों ने अलग तरीके से शासन करने और मतदाताओं की अधिक सुनने का वादा किया, उम्मीद है कि इससे उन्हें संसद में बहुमत हासिल करने में मदद मिलेगी. मैक्रों ने देर रात कहा, "इस देश में कई लोगों ने मुझे इसलिए वोट नहीं दिया क्योंकि वे मेरे विचारों का समर्थन करते हैं, बल्कि वे धुर दक्षिणपंथियों को दूर रखना चाहते हैं. मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं.” उन्होंने कहा, "हमें उदार और सम्मानजनक होना होगा क्योंकि हमारा देश इतने सारे संदेहों, इतने सारे विभाजनों से भरा हुआ है."
मैक्रॉन के करीबी सहयोगी, संसद नेता रिचर्ड फेरैंड ने फ्रांस इंटर को बताया, "हमारा पहला काम एकजुट होना होगा, यह कहते हुए कि सांसद अपने निर्णय लेने में मतदाताओं को अधिक शामिल करेंगे.
रूढ़िवादी दैनिक ले फिगारो ने सोमवार को अपने मुख्य संपादकीय में लिखा, "वास्तव में, संगमरमर की विशालकाय मूर्ति मिट्टी के पैरों के साथ है. इमैनुएल मैक्रों यह अच्छी तरह से जानते हैं ... उन्हें किसी भी ग्रेस पीरियज से कोई लाभ नहीं होगा."
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