विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना वायरस संकट अंतिम महामारी साबित नहीं होगा. डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रियेसिस ने इंसानी सेहत को सुधारने के प्रयास को जलवायु परिवर्तन और पशु कल्याण का सामना किए बिना 'बेकार' बताया. घेब्रियेसिस ने महामारी पर पैसा लगाने और आगे के लिए तैयार नहीं होने के 'खतरनाक रूप से अदूरदर्शी' होने की आलोचना की.
कोरोना वायरस संकट अंतिम महामारी नहीं-WHO
उन्होंने कहा, "अब वक्त आ गया है कि हमें कोविड-19 महामारी से सबक सीखना चाहिए. लंबे समय तक दुनिया घबराहट और उपेक्षा के एक चक्र पर चल रही है. प्रकोप फूटने पर हम पैसा लगा देते हैं और जब खत्म हो जाता है तब हम उसके बारे में भूल जाते हैं और अगले प्रकोप को रोकने के लिए कुछ नहीं करते."
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने बताया कि इतिहास हमें बताएगा कि ये अंतिम महामारी नहीं थी और सर्वव्यापी महामारी जिंदगी की सच्चाई है. महामारी ने इंसानों, जानवरों और ग्रह के स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध को उजागर किया है. इस सिलसिले में इंसानी सेहत के सुधार के लिए किसी तरह का प्रयास उस वक्त तक बेकार रहेंगे जब तक कि इंसानों और जानवरों के बीच महत्वपूर्ण इंटरफेस को हल न कर लिया जाए.
'कोविड-19 से दुनिया को सबक सीखने की जरूरत'
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले वजूद के खतरों ने दुनिया को कम रहने लायक बना दिया है. घेब्रियेसिस ने बताया कि पिछले 12 महीनों में दुनिया में काफी उतार-चढ़ाव हुए हैं. महामारी का प्रभाव खुद बीमारी के परे जाता है. इसका समाज और अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर हुआ है.
टेड्रोस ने आह्वान करते हुए कहा कि सभी तरह की इमरजेंसी की पहचान, पड़ताल, जांच और कम करने की तैयारी की क्षमताओं पर निवेश किया जाना चाहिए. उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा को ज्यादा मजबूत बनाने की अपील की. उन्होंने कहा, "सार्वजनिक स्वास्थ्य पर निवेश करने से हम अपने बच्चों और उनके बच्चों के लिए सुरक्षित और रहने योग्य दुनिया को सुनिश्चित कर सकते हैं."
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