Why Covid-19 is surging in China: चीन में एक बार फिर कोरोना का कहर देखा जा रहा है. वर्तमान में चीन में कोविड-19 संक्रमणों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. चीन ने 7 दिसंबर को विरोध प्रदर्शनों के बाद अपनी "जीरो कोविड" रोकथाम रणनीति में बदलाव की घोषणा की, जिसके बाद कोरोना के केस अचानक बढ़ गए. चीन के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.


चीन में इस वक्त कोरोना के मामले फिर से बढ़ना इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि यह ऐसा वक्त है जब पूरी दुनिया वैश्विक मंदी की चिंताओं में घिरी हुई है. कोविड-19 संक्रमणों में तेजी से वृद्धि न सिर्फ चीन की अर्थव्यवस्था बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चीन में बढ़ते कोरोना के मामलों पर चर्चा करेंगे पहले जान लेते हैं आखिर चीन में क्या हो रहा है.


चीन में क्या हो रहा है?


"ज़ीरो कोविड" प्रतिबंधों की वजह से कोरोना के मामले चीन में लगातार घटे थे. इस दौरान लगा जैसे एक बार फिर दुनिया पटरी पर लौट रही है, हालांकि इन प्रतिबंधों में देशव्यापी प्रदर्शन के बाद चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने ढ़ील दी. नए नियमों के मुताबिक चीन में लॉकडाउन अब पूरे मोहल्ले या शहरों के बजाय इमारतों, या किसी इकाइयों तक सीमित हो गए. इसके बाद  खबरें आने लगीं कि चीन में एक बार फिर कोरोना विस्फोट हुआ है. देश की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली चरमरा गई है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में दिखाया गया कि क्लीनिक और अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज अपनी कारों में ड्रिप ले रहे हैं. कई भवायवह वीडियो सामने आने लगे.


सीएनएन की खबर के मुताबिक, कोरोना के केस इतने बढ़ गए हैं कि, बीजिंग जैसे शहरों में कार्यालयों, सड़कों और शॉपिंग सेंटरों को सुनसान छोड़ दिया गया है. राज्य संचालित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों को संक्रमण से बचने के लिए दिसंबर के अंत तक अपनी तैयारियों को पूरा करने के लिए कहा गया है. बीबीसी के मुताबिक, देश में स्वास्थ्य व्यवस्था में कमी की ख़बरों के बीच लोगों ने घबराहट में दवाएं और कोविड-19 टेस्टिंग किट ख़रीदना शुरू कर दिया है.


ऐसी चिंताएं हैं कि SARS-Cov-2 वायरस का एक नया संस्करण अब चीन में फैल चुका है. चीन के स्वास्थ्य आयोग के डेटा से पता चलता है कि चीन में कोरोना के नए वैरिएंट के मामले नवंबर के मध्य में लगभग 2,000 थे जो नवंबर के अंत तक 4,000 हो गए. दिसंबर के पहले सप्ताह तक यह संख्या 5,000 तक पहुंच गई.  इतना ही नहीं खबरों के मुताबिक, दैनिक मामले की संख्या 27 नवंबर को 40,000 का आंकड़ा पार कर गई थी.


हालांकि जैसे ही कोरोना का विस्फोट एक बार फिर चीन में हुआ देश ने 14 दिसंबर से दैनिक कोरोना मामलों को प्रकाशित करना बंद कर दिया. 


 देश की 60% आबादी अगले तीन महीने में हो सकती है संक्रमित


चीन के प्रमुख महामारी वैज्ञानिक वू ज़ुन्यो ने 18 दिसंबर को कहा कि उनका मानना ​​है कि देश इस सर्दी में तीन संभावित संक्रमण में से पहली लहर का अनुभव कर रहा है. उनका अनुमान है कि देश की 60% आबादी, जो वैश्विक आबादी का लगभग 10% है वो अगले तीन महीनों में संक्रमित हो सकती है. मरने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है.


मिनेसोटा विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी के निदेशक माइकल ओस्टरहोम ने रॉयटर्स के हवाले से कहा, "यह महामारी अगले हफ्तों में [चीन] के माध्यम से दुनिया में फैलने वाली है."


इसका वैश्विक आर्थिक प्रभाव क्या होगा?

पिछले दो वर्षों में जीरो कोविड के तहत लगाए गए लॉकडाउन ने पहले ही चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया था. घरेलू सेवा क्षेत्र विशेष रूप से कड़े प्रतिबंधों से पस्त हैं. नतीजतन, इस साल की शुरुआत में 16 से 24 आयु वर्ग में हर पांच में से एक चीनी बेरोजगार था. ब्लूमबर्ग ने बताया कि यह आंकड़ा अगले साल और खराब होने की उम्मीद है, जब 11.6 मिलियन स्नातक नौकरी पेशा जीवन में प्रवेश करेंगे.


अब, कोविड-19 संक्रमणों में तेजी से उछाल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक और संकट में डाल सकता है. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को और बाधित कर सकता है. चीन और दुनिया भर में आर्थिक सुधार में देरी कर सकता है.


विश्व अर्थशास्त्र के एक सर्वेक्षण के अनुसार, चीन में व्यावसायिक विश्वास स्तर 2013 के बाद से सबसे कम है. इस वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 3% की वृद्धि होने की उम्मीद है. यह पिछले आधी सदी में इसका सबसे खराब प्रदर्शन है. यह वैश्विक मंदी की चिंताओं को बढ़ा देता है.


संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए चीन की स्थिति दुनिया के लिए चिंता का विषय है. एक तरफ कोरोना दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था और राणनितीक तौर पर प्रतियोगिता के बीच चीन और पश्चिमी मुल्कों के बीच तनाव, गणतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को लेकर चीन और पश्चिमी मुल्कों के बीच तीखी बयानबाज़ी..सभी का असर वैश्विक बाजार पर पड़ेगा.


दुनिया के बाजार में चीन की कितनी भागीदारी है..इसका उदाहरण समायोजित वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ो से लगा सकते हैं. साल 2021 में वैश्विक जीडीपी में चीन की हिस्सेदारी लगभग 18.56 प्रतिशत थी. यानी साफ है कि अगर चीन के बाजार पर असर पड़ता है तो इसका सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ेगा.