Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का फैसला इमरान खान के सियासी इरादों के लिए बड़ा झटका है. इमरान खान को अब संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा. इमरान इस स्थिति का सामना कभी नहीं करना चाहते थे वह जानते थे कि उनके पास बहुमत नहीं है. हम आपको बता रहे हैं कि क्यों 9 अप्रैल को जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी तो इमरान खान की हार तय होगी.
बहुमत खो चुके हैं इमरान
दरअसल इमरान खान ने सत्तारूढ़ गठबंधन के एक मुख्य सहयोगी दल एमक्यूएम-पी के विपक्षी खेमे में जाने की घोषणा के साथ ही बहुमत खो दिया था. एमक्यूएम-पी के पास 7 सांसद हैं. इससे पहले सरकार के एक अन्य सहयोगी और पांच सांसद रखने वाले दल बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) ने भी विपक्ष के साथ जाने का ऐलान कर दिया था.
नेशनल असेंबली का गणित
- इमरान खान को सरकार बचाने के लिए 342 सदस्यीय संसद (नेशनल असेंबली) में 172 वोट की जरूरत पड़ेगी.
- इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सदन में 155 सांसद हैं. इमरान को करीब दो दर्जन सांसदों की बगावत और सहयोगी दलों की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है.
- जबकि विपक्ष का दावा है कि उसके पास 175 सांसदों का समर्थन है.
- साफ है कि इमरान बहुमत खो चुके हैं और अविश्वास प्रस्ताव का पास हो जाना एक औपचारिकता है.
ऐसे बढ़ती गई इमरान की मुश्किलें
- पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति 8 मार्च के बाद खराब हो गई है जब विपक्षी दलों द्वारा नेशनल असेंबली सचिवालय में एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया.
- अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है.
- 3 अप्रैल को इमरान विपक्ष को झटका देने में सफल रहे जब नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए उसे खारिज कर दिया था. कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था.
- हालांकि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और उसके बाद संसद को भंग करने को असंवैधानिक करार दे दिया.
- इमरान को अब अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा जिस पर वोटिंग 9 अप्रैल को होगी.
अगर इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, जिसकी संभावना बहुत अधिक है तो पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाए जाने वाले पहले पीएम होंगे.
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