कहीं युद्ध की लपटें, बारूद की बू, कहीं महंगाई, भुखमरी के हालात. कहीं सियासी उलटफेर. अगर भारत के नक्शे को देखा जाए तो उसके आसपास के देशों में आपको यही परिदृश्य नजर आएगा. रूस-यूक्रेन के बीच 47 दिन से जंग चल रही है. पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी है. नेपाल में भी इकोनॉमी डगमगा रही है. जबकि पाकिस्तान में लंबे सियासी ड्रामे के बाद इमरान खान की सत्ता चली गई और शहबाज शरीफ का पीएम बनना तय माना जा रहा है. यानी भारत के ऊपर-नीचे, दाएं और बाएं खलबली मची हुई है. जरा विस्तार से देखते हैं कि कहां क्या हालात हैं.


रूस-यूक्रेन युद्ध



  • रूस की बर्बरता यूक्रेन के शहरों में साफ देखी जा रही है. भले ही पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन वह पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा है. 

  • यूक्रेन युद्ध में अब तक रूस को कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है. इसलिए अपनी वॉर स्ट्रैटजी में बदलाव करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने  जनरल एलेक्सजेंडर दवोर्निकोव (60) को यूक्रेन युद्ध का नया कमांडर नियुक्त किया है.

  • रूस की सेनाएं लगातार आम नागरिकों को भी निशाना बना रही हैं. हाल ही में रेलवे स्टेशन पर रॉकेट हमले में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे. राजधानी कीव के पास 1222 शव बरामद हुए हैं. 

  • यूक्रेन ने रूस पर बूचा और कीव के नजदीक अन्य जगहों पर आम लोगों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है, जहां पर सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई. इनमें से कई के हाथ बंधे थे जो यातना के संकेत देते हैं. इसकी जानकारी रूसी सैनिकों की वापसी के बाद मिली.

  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने बताया कि रूस द्वारा सैन्य कार्रवाई करने के बाद से यूक्रेन छोड़कर जाने वालों की संख्या 45 लाख के करीब पहुंच गई है.

  • शरणार्थियों पर यूएन की जानकारी के मुताबिक 24 फरवरी से अबतक 45.04 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं. 26 लाख लोग पोलैंड में गए और 6,86,000 से अधिक रोमानिया गए हैं.


अब बात श्रीलंका की



  • श्रीलंका से पिछले कुछ दिनों से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं. वहां के हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि एक लीटर दूध तक खरीदने के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. 

  • विरोध प्रदर्शन रोज उग्र हो रहा है. प्रदर्शन का सबसे बड़ा पॉइंट राजधानी कोलंबो ही बन चुका है, जहां आम लोग पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की चीजों की कमी के चलते हाथों में झंडा, बैनर-पोस्टर लिए सड़कों पर हैं. सचिवालय के सामने भी लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं.


जरूरी सामान     कीमत       एक साल में बढ़ोतरी
पेट्रोल               254 रुपये          85%
डीजल              104 रुपये          69%
सिलेंडर             2750 रुपये       84%
हल्दी                3853 रुपये       443%     
ब्रेड                  3583 रुपये       443% 
चावल               162 रुपये         93% 
मसूर दाल          325 रुपये        117%


*श्रीलंकाई मुद्रा में



  • पेट्रोल की कीमत में एक साल में 85 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. डीजल 69 फीसदी महंगा हुआ है. 

  • रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में 84 फीसदी का उछाल आया है. 

  • यही नहीं एक किलो हल्दी की कीमत 3853 रुपये (श्रीलंकाई मुद्रा) है, जिसमें 443 फीसदी का उछाल है. एक किलो ब्रेड 3583 रुपये में मिल रहा है. इसकी कीमत भी 443 फीसदी बढ़ी है. चावल की कीमत में 93 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि मसूर दाल की कीमत में 117 फीसदी का इजाफा हुआ है.

  • चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.  भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ (IMF) एशियन डेवलैपमेंट बैंक जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है.

  • श्रीलंका की आर्थिक बदहाली की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 फीसदी की गिरावट आई है. फिलहाल श्रीलंका के पास 2.31 अरब डॉलर बचे हैं.

  • विदेशी मुद्रा के रूप में सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही श्रीलंका के पास हैं. श्रीलंका कच्चे तेल और अन्य चीजों के आयात पर एक साल में खर्च 91 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. खर्च 91 हजार करोड़ रुपये का है, लेकिन श्रीलंका के पास सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही है. 

  • श्रीलंका 75 साल की सबसे भयानक मंदी का सामना कर रहा है. इसका कारण है कि 2019 में राष्ट्रपति राजपक्षे ने टैक्स काफी घटा दिया था, जिससे हर साल श्रीलंका को 60 हजार करोड़ का नुकसान होने लगा और खजाना खाली होता गया. 

  • कोविड ने भी श्रीलंका की हालत पतली करने में खासा किरदार निभाया. श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था में 10 फीसदी योगदान पर्यटन से आता है. कोरोना ने इस सेक्टर को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई. लोगों के रोजगार खत्म हो गए और बेरोजगारी बढ़ गई. सरकार ने इससे उबरने के लिए नए नोट छाप दिए, जिससे हालात और बिगड़ गए और डॉलर के मुकाबले श्रीलंका की मुद्रा बहुत ज्यादा गिर गई. 


पाकिस्तान



  • पाकिस्तान में लंबे समय से चल रहे सियासी ड्रामे का अब अंत होता नजर आ रहा है. शुक्रवार आधी रात को पाक नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इमरान खान सरकार गिर गई. 

  • 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान समाजवादी, उदारवादी और कट्टर धार्मिक दलों के संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था, जो प्रधानमंत्री को सत्ता से बाहर करने के लिए जरूरी संख्याबल यानी 172 से अधिक था.

  • पाकिस्तान के इतिहास में इमरान से पहले किसी भी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से बेदखल नहीं किया गया है. साथ ही आज तक किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

  • अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के समय इमरान (69) संसद के निचले सदन में मौजूद नहीं थे. उनकी पार्टी के सांसदों ने भी मतदान के दौरान सदन से वॉकआउट किया. हालांकि, पीटीआई के बागी सदस्य सदन में मौजूद थे और सत्ता पक्ष की सीटों पर बैठे थे.

  • शनिवार को पीएमएल-एल के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, जो संयुक्त विपक्ष के पीएम उम्मीदवार हैं, उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया था. वहीं इमरान के आवास पर भी पीटीआई की कोर कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें शाह महमूद कुरैशी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया था.

  • पाकिस्तान की संसद में आज नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा. इससे पहले इमरान खान की पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को टालने का काफी प्रयास किया था. डिप्टी स्पीकर के सदन को स्थगित करने और राष्ट्रपति के संसद को भंग करने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के हक में फैसला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का आदेश दिया था. 


नेपाल



  • पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका के अलावा नेपाल की हालात भी इन दिनों ठीक नहीं चल रही है. वहीं की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है. भारत और नेपाल का रिश्ता रोटी-बेटी का है.

  • नेपाल राष्ट्र बैंक ने वहां के वित्त मंत्रालय से कहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद के आयात को कंट्रोल किया जाए. वाहन लोन और गैर-जरूरी लोन देने से बचा जाए. 

  • इंपोर्ट हुए पेट्रोल के लिए नेपाल हर महीने भारत को 24-29 अरब रुपये देता है. 

  • नेपाल सरकार ने विदेशी मुद्रा में गिरावट रोकने के लिए लग्जरी सामानों के इंपोर्ट पर बैन लगा दिया है. 

  • नेपाल सरकार ने मोपेड, चावल, कपड़ा, मशीनरी, डिजाइन व्हीकल्स, साइकिल, चांदी, रेडिमेड कपड़ों, बिजली के उपकरण, सोना, धान और धागे के इंपोर्ट पर बैन लगा दिया है. 

  • पत्थर की सजावटी व चांदी की नक्काशीदार चीजें, चिमनी के बर्तन, जार, खिलौने और फर्नीचर से जुड़ी चीजों के आयात के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी नहीं किया जाएगा. इसका मतलब है कि अगले आदेश तक इसका इंपोर्ट बंद रहेगा. 

  • हालांकि नेपाल के वित्त मंत्री का कहना है कि उनके देश की हालात श्रीलंका जैसी नहीं है. वह विदेशी कर्ज के बोझ तले दबा नहीं है. उसकी स्थिति श्रीलंका से बेहतर है. 


पड़ोसी देशों के हालात का भारत पर कैसा असर



  • श्रीलंका सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम साझेदार है. ऐसे में भारत श्रीलंका की लगातार मदद कर रहा है. अच्छे मित्र और पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए भारत ने ईंधन की कमी दूर करने के लिए बीते दिनों 40 हजार मीट्रिक टन डीजल और 36 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल क्रेडिट लाइन के तौर पर श्रीलंका तक पहुंचाया है. 

  •  कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के मुताबिक बीते कुछ दिनों में श्रीलंका को 2 लाख 70 हजार मीट्रिक टन डीजल मुहैया किया गया है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का पहिया चलता रहे, इसके लिए यह खेप काफी अहम है. 

  • भारत के पड़ोसी देशों को अलग-थलग करने की चीन की रणनीति भी पिछले दिनों फेल हो गई थी. महिंदा राजपक्षे के राज में श्रीलंका का रुख चीन की ओर बढ़ा. जिससे उसकी सरकार कर्ज लेती गई और बोझ तले तब गई. कर्ज न लौटने के कारण चीज को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल की लीज पर देना पड़ा था. लेकिन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सत्ता में आने के बाद से चीन के प्रति श्रीलंका का झुकाव कम होता नजर आया है. श्रीलंका चाहता है कि उसे यह बंदरगाह वापस मिल जाए. यह बंदरगाह भारत के लिए भी बेहद अहम है. ऐसे में मदद देकर भारत चाहता है कि उसके रिश्ते श्रीलंका से और मजबूत हो जाएं. 

  • वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख तटस्थ है. भारत ने बुचा शहर में रूस की सेनाओं के नरसंहार की निंदा करते हुए कहा था कि इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. हालांकि यूएन में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत बचता रहा है. 

  • भारत ने लगातार दोनों देशों से शांति की अपील करते हुए बातचीत करने को कहा है. साथ की कूटनीतिक तरीके से समाधान निकालने का भी आग्रह किया है.   

  • पाकिस्तान में सियासी उलटफेर पर भी भारत की नजरें होंगी. शहबाज शरीफ का पीएम बनना तय माना जा रहा है. शरीफ का आना भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है. दरअसल नवाज शरीफ हमेशा भारत के साथ संबंध सुधारने के पक्षधर रहे हैं, जबकि इमरान खान के बयानों की वजह से दोनों देशों में कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी. अब उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार आएगा.


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