US President Joe Biden: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के घर और निजी दफ्तर से कुछ गोपनीय दस्तावेज बरामद होने की खबरों ने खलबली मचा दी है. देश की सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर जो बाइडेन अपनी विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के निशाने पर आ चुके हैं. इस बीच बाइडेन ने कहा है कि वो इन दस्तावेजों की समीक्षा में जस्टिस डिपार्टमेंट का पूरा सहयोग करेंगे.


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये गोपनीय दस्तावेज (Classified Documents) उस समय के हैं, जब जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के उपराष्ट्रपति थे. उन पर आरोप है कि उपराष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद भी बाइडेन इन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है.


अलग-अलग जगहों से मिले इन गोपनीय दस्तावेजों की वजह से जो बाइडेन पर सियासी संकट गहरा गया है. आइए जानते हैं क्या होते हैं गोपनीय दस्तावेज और अमेरिका में इसे लेकर कौन सा कानून है?


क्या होते हैं गोपनीय दस्तावेज?


सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे दस्तावेज जिनका खुलासा होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है, उन्हें गोपनीय दस्तावेज यानी क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर, खुफिया गतिविधियां, विदेशी संबंधों, सैन्य योजनाओं और न्यूक्लियर मैटेरियल की सुरक्षा से जुड़े दस्तावेजों को क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट कहा जाता है.


क्या है प्रेसीडेंशियल रिकॉर्ड्स एक्ट?


अमेरिका में इस तरह के तमाम क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट को प्रेसीडेंशियल रिकॉर्ड्स एक्ट 1978 के तहत  एनएआरए (National Archives and Records Administration) में जमा कर दिया जाता है. प्रेसीडेंशियल रिकॉर्ड्स एक्ट के तहत अमेरिकी सरकार तय करती है कि किन क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट को जनता के सामने लाया जा सकता है या नहीं, इन्हें कौन देख सकता है या कहां देख सकता है? वहीं, क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट के गलत तरीके से इस्तेमाल को अपराध करार दिया जा सकता है. बता दें कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 9/11 हमले को लेकर एफबीआई ने कुछ क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट को जनता के लिए जारी किया था. 


कैसे तय किया जाता है क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट का स्तर?


आउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में गोपनीय दस्तावेजों के क्लासिफिकेशन का सिस्टम बहुत पुराना नहीं है. अमेरिका के 33वें राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के एक सरकारी आदेश के बाद इसे बनाया गया था.जिसके तहत सूचनाओं का क्लासिफिकेशन और सुरक्षा की जाती है.किसी सूचना के लीक होने पर जस्टिस डिपार्टमेंट राष्ट्रीय सुरक्षा को हो सकने वाले संभावित नुकसान के आधार पर क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट को तीन स्तरों पर बांटता है. 


इनमें से एक है टॉप सीक्रेट. ये क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट का सर्वोच्च स्तर है. अगर किसी क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट से राष्ट्रीय सुरक्षा को बहुत ज्यादा नुकसान या खतरा होने की संभावना होती है, तो उन्हें टॉप सीक्रेट स्तर में रखा जाता है. इस तरह के क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट सिर्फ कुछ विशेष सुरक्षा मंजूरी वाले लोगों को देखने की अनुमति होती है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के घर से मिले कुछ क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट्स को टॉप सीक्रेट की श्रेणी में ही रखा गया था.


क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट का दूसरा स्तर सीक्रेट होता है. सीक्रेट दस्तावेजों के तहत ऐसे क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट आते हैं, जिनके खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा या नुकसान हो सकता है. वहीं, क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट का तीसरा स्तर कॉन्फिडेंशियल कहा जाता है. इस तरह के दस्तावेज सबसे कम संवेदनशील होते हैं. हालांकि, इनके खुलासे पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे की संभावना होती है.


कौन देख सकता है क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट?


सरकार के कुछ लोग, जिन्हें विशेष सुरक्षा मंजूरी मिली हो, केवल वही इन गोपनीय दस्तावेजों को देख सकते हैं. इसमें से भी अलग-अलग स्तर के क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट के लिए अलग से विशेष सुरक्षा मंजूरी चाहिए होती है. आसान शब्दों में कहें, तो अमेरिकी राष्ट्रपति भी सारे दस्तावेज बिना सुरक्षा मंजूरी के नहीं देख सकते हैं. वहीं, कुछ क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट एक निश्चित जगह पर ही देखे जा सकते हैं.


क्या बाइडेन पर हो सकती है कार्रवाई?


इन गोपनीय दस्तावेजों की जांच अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट करेगा. इसके बाद वो तय करेगा कि इन क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट का स्तर क्या है. अगर ये टॉप सीक्रेट श्रेणी में आते हैं, तो जो बाइडेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहीं, इन दस्तावेजों के कॉन्फिडेंशियल होने पर बाइडेन के खिलाफ महाभियोग चलाया जा सकता है. इससे पहले क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट की वजह से अमेरिका की डेमोक्रेटिक नेता हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति बनने का सपना टूट गया था. वहीं, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने घर से मिले गोपनीय दस्तावेजों को वापस करने से इंकार करते हुए आपराधिक आरोपों का सामना करने का फैसला किया था.


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