जब से तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा जमाया है, सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैल रही है. उनमें से ज्यादातर पुराने वीडियो और पोस्ट को अफवाह फैलाने के लिए बढ़ाया जा रहा है. ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि अफगानिस्तान में महिलाओं की नीलामी हो रही है. वीडियो में, बुर्का पहनी महिलाएं गली में बैठी दिखाई दे रही हैं जबकि पुरुष लोगों को उनकी खरीदारी के लिए बोली लगा रहे हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान पर फैलाया जा रहा झूठ का पुलिंदा
वीडियो का फोटो शेयर करते हुए एक ट्वविटर यूजर ने लिखा, "वक्त-वक्त की बात है, इन अफगानियों ने दो दीनार के बदले हमारी बेटियों की नीलामी की. अब उनकी खुद की बेटियों को बोली लगाई जा रही है."
हालांकि, जांच-पड़ताल में पता चला कि ये वीडियो न तो अफगानिस्तान का है और न ही हाल की घटना से इसका कोई संबंध है, बल्कि ये लंदन में एक नुक्कड़ नाटक का है और 2014 में इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के अपराधों से लोगों को जागरुक करने के लिए खेला गया था. नुक्कड़ नाटक का आयोजन कुर्दिश अप्रवासियों ने किया था.
सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो, फोटो शेयर कर हो रहे फर्जी दावे
राष्ट्रपति निवास पर धावा बोलने के बाद न सिर्फ अफवाहों का सोशल मीडिया पर बाजार गर्म है बल्कि कई बेबुनियाद दावे भी किए जा रहे हैं. एएफपी न्यूज एजेंसी ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि अमेरिकी वायु सेना की मदद से अफगानियों को निकाले जाने की तस्वीर पर झूठ बोला जा रहा है. फैक्ट चेक के मुताबिक, रेस्क्यू किए जा रहे लोग फिलीपींस के नागरिक हैं.
इसी तरह, शॉर्ट स्कर्ट पहने लड़कियों के एक ग्रुप का फोटो शेयर कर पोस्ट में 1970 के दशक की महिलाओं का दावा किया जा रहा है. हालांकि, जांच से खुलासा होता है कि फोटो में नजर आनेवाली लड़कियां 1971 में तेहरान की छात्रा हैं.
अफगानिस्तान में पंजशीर मात्र ऐसा प्रांत है जो अभी तक तालिबान लड़ाकों के हाथ नहीं आया है. तालिबान विरोधियों का कहना है कि उन्होंने बागलान के सालेह और बानू जिलों को 'दर्जनों' तालिबान लड़ाकुओं को मारने के बाद बारा नियंत्रण में ले लिया है.
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