वाशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि आर्थिक कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों को पूरा न करने का पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर विनाशकारी असर होगा. दक्षिण और मध्य एशिया के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की.


इससे एक दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि देश को एफएटीएफ की ‘ग्रे सूची’ से बाहर करना चाहिए क्योंकि उसने आतंकवाद के वित्त पोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था की आवश्यकताओं पर अहम प्रगति की है.


काली सूची में आने पर पाकिस्तान को होगा नुकसान


वेल्स ने कहा, ''जाहिर तौर पर अगर पाकिस्तान एफएटीएफ के दायित्वों को पूरा नहीं करता है और काली सूची में आता है तो यह पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम तथा निवेशकों को आकर्षिक करने की उसकी क्षमता के लिए विनाशकारी होगा.''


इस्लामाबाद समेत क्षेत्र की यात्रा करके हाल ही में लौटी वेल्स ने कहा, ''हम एफएटीएफ के दायित्वों को पूरा करने की ओर पाकिस्तान की प्रगति को देखकर खुश हैं.'' वह उस सवाल का जवाब दे रही थी कि अगर पाकिस्तान एफएटीएफ के नियमनों या नियमों को पूरा नहीं करता है तो क्या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से वित्त पोषण पर असर पड़ सकता है.


पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री का बयान


पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के प्रभाग के मंत्री हम्माद अजहर के नेतृत्व वाला पाक प्रतिनिधिमंडल एफएटीएफ की सिफारिशों को लागू करने के लिए इस्लामाबाद की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में आर्थिक कार्रवाई बल को जानकारी देने के लिए बीजिंग में है.


एफएटीएफ ने पिछले अक्टूबर में पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद तथा अन्य आतंकवादी समूहों के वित्त पोषण पर लगाम लगाने में नाकामी के लिए उसे 'ग्रे' सूची में डालने का फैसला किया था. अगर वह अप्रैल तक इस सूची से नहीं हटता है तो पाकिस्तान को काली सूची में डाला जा सकता है जिससे गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.


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