FATF बैठक: अगर ‘ग्रे लिस्ट’ से ‘ब्लैक लिस्ट’ हुआ पाकिस्तान तो क्या होगा इसका मतलब? जानिए
पाकिस्तान ने अभी तक 27 में से 21 पैमानों पर ही कार्रवाई की है. छह महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की है.पाकिस्तान अभी ग्रे-लिस्ट में है. जानिए अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हुआ तो इसका क्या असर होगा.
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पेरिस: फ्रांस की राजधानी पेरिस में हो रही फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में आज पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने पर फैसला हो सकता है. पाकिस्तान की ओर से आतंकी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित आतंकवादियों को सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना जाना जारी है. इसलिए पाकिस्तान अभी ग्रे-लिस्ट में है. जानिए अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हुआ तो इसका क्या असर होगा.
पाकिस्तान उम्मीद कर रहा है कि उसे ग्रे सूची से हटाकर काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में नहीं डाला जाएगा. पाकिस्तान साल 2018 से ही आतंकी वित्तपोषण और धन शोधन के प्रसार और प्रवाह पर अंकुश न लगा पाने या इसे नहीं रोक पाने पर एफएटीएफ ग्रे की सूची में बना हुआ है.
पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हुआ तो क्या होगा?
दरअसल आतंकवाद को वित्तीय तौर पर बढ़ावा देने वाले देशों को एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट कर देती है. ब्लैकलिस्ट होने का मतलब है कि पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड यानी आईएमएस से कर्ज नहीं मिल पाएगा. वर्ल्ड बैंक के अलावा एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता बंद होगी और लोन मिलना नामुमकिन होगा.
इतना ही नहीं पाकिस्तान की फॉरेन फंडिंग तो बंद होगी ही साथ ही विदेशी मुल्कों से भी कर्ज नहीं मिलेगा. कोई भी देश पाकिस्तान में निवेश नहीं कर पाएगा और इस तरह आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी. मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को लगातार काबू न कर पाने के चलते पाकिस्तान जैसे देशों को सेफ टैक्स हैवन्स भी करार दिया जाता है. एफएटीएफ ऐसे देशों को ग्रे लिस्ट में डालकर एक तरह से चेतावनी जारी करती है.
पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट हो जाने की उम्मीद क्यों नहीं है?
पाकिस्तान 2018 से तुर्की, चीन और मलेशिया जैसे देशों से सक्रिय राजनयिक समर्थन के माध्यम से कम से कम दो बार एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट में धकेले जाने से बचा है. यह उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान एक बार फिर इन देशों के समर्थन की आस में है. वह एफएटीएफ की कार्ययोजना के अनुपालन के लिए अधिक समय हासिल करने की कोशिश करेगा. पाकिस्तान को फरवरी में समय सीमा बढ़ाकर एक राहत प्रदान की गई थी और उसे धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण मामलों पर निगरानी करने वाले इस 36 देशों की संस्था ने जून तक का समय दे दिया था.
पाकिस्तान का क्या कहना है?
देश के ब्लैक लिस्ट होने की उम्मीद को लेकर पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा है कि पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ एक्शन प्लान को लागू कर रहा है और हमने इस संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. हमारे संपूर्ण एएमएल/सीएफटी शासन को एफएटीएफ की ओर से निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर लाने के लिए कार्य योजना के अनुपालन में नया रूप दिया गया है."
इस बीच प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान सरकार ने एफएटीएफ मानकों को पूरा करने के उद्देश्य से अपनी कानूनी प्रणाली से संबंधित कम से कम 14 कानूनों में संशोधन किया है.
पाकिस्तान ने अभी तक 27 में से 21 पैमानों पर ही कार्रवाई की
पाकिस्तान ने अभी तक 27 में से 21 पैमानों पर ही कार्रवाई की है. छह महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की है. इसमें आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देने के साथ ही मसूद, हाफिज सईद, दाऊद और लखवी जैसी आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न किया जाना शामिल है. अगर एफएटीएफ की ओर से प्रदान किए गए इन बिंदुओं पर पाकिस्तान जमीनी स्तर पर कार्य नहीं दिखा पाता है तो उसकी ग्रे सूची में बने रहने की आस धूमिल हो जाएगी और वह ब्लैक लिस्ट हो जाएगा.
क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है. ये संस्था ये भी तय करती है कि वित्तीय अपराधों को बढ़ावा देने वाले देशों पर कैसे लगाम लगाई जा सकती है.
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