Saudi Arab Cut Oil Production: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विश्लेषक फतह बिरल (Fatih Birol) ने भविष्यवाणी की है कि सऊदी अरब (Saudi Arabia) की तेल उत्पादन में कटौती की योजना का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरा होगा. इसी के साथ साल की दूसरी छमाही में बाजार को तंगी का सामना करना पड़ेगा. सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा पर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फतह बिरल ने कहा कि सऊदी अरब, रूस और अन्य- OPEC + उत्पादकों ने तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. 


उन्होंने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विश्लेषण और तेल बाजारों को देखने वाली लगभग हर गंभीर संस्था के विश्लेषण को देखते हैं. इसके आधार पर तो इस साल की दूसरी छमाही में बाजार की स्थिति बहुत ही तंग होगी.


भारत पर पड़ सकता है असर
भारत जैसे देशों पर तेल उत्पादन में कटौती के प्रभाव पर एक सवाल के जवाब में बिरल ने कहा कि भारत एक ऊर्जा और तेल आयातक देश है. भारत में खपत होने वाले अधिकांश तेल का आयात किया जाता है.


इस तरह के कदम से भारत का तेल आयात बिल बढ़ सकता है और इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ सकता है. भारत फिलहाल रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात कर रहा है. इस वक्त रूस भारत को सबसे कम दाम में तेल की सप्लाई कर रहा है.


भारत ने मार्च में कितना तेल खरीदा
भारत पिछले एक साल से अधिक समय से रूस से लगातार तेल आयात कर रहा है. इस दौरान पिछले महीने मार्च में रूस से भारत को कच्चे तेल का आयात हर दिन के हिसाब से 1.64 मिलियन (16 लाख 40 हजार) बैरल रहा है. इस मामले में भारत ने इराक से भी दोगुना तेल रूस से खरीद लिया. आपको बता दें कि इराक भारत का तेल के मामले में एक बहुत पुराना सप्लायर रहा है.


वहीं अगर सऊदी अरब की बात की जाए तो वोर्टेक्सा के रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब मार्च में कच्चे तेल का भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर रहा है. सऊदी अरब से भारत ने 9 लाख 86 हजार 288 बैरल तेल आयात किया है और इराक से 8 लाख 21 हजार 952 बैरल तेल आयात किया है.


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