नई दिल्ली: गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार स्टेन स्वामी (84) की सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. कई बीमारियों से पीड़ित स्वामी हिरासत में कोरोना वायरस से संक्रमित भी पाए गए थे. हालांकि स्टेन स्वामी की मौत के बाद से ही भारत सरकार को विदेशों से आलोचना मिल रही है. इस बीच एक संघीय अमेरिकी निकाय ने भारत सरकार द्वारा जानबूझकर उपेक्षा की निंदा की है. निकाय ने कहा है कि इसके कारण स्टेन स्वामी की मृत्यु हो गई.


अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) के अध्यक्ष नादिन मेंजा ने एक बयान में कहा, 'फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के गंभीर और चल रहे उत्पीड़न की कड़ी याद दिलाती है. यूएससीआईआरएफ ने भारत सरकार द्वारा जानबूझकर उपेक्षा और लक्ष्यीकरण की कड़े शब्दों में निंदा की, जिसके कारण फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु हुई.'


जवाबदेह ठहराने का आग्रह


नादिन मेंजा ने संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत सरकार को जवाबदेह ठहराने और अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को उठाने का आग्रह किया है. वहीं स्वामी के मामले से निपटने के लिए बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय आलोचना को खारिज करते हुए भारत ने मंगलवार को कहा कि संबंधित अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करते हैं और अधिकारों के वैध प्रयोग को रोकते नहीं हैं.


दिल का दौरा पड़ने से निधन


बता दें कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी पादरी स्टेन स्वामी को यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में रांची से एनआईए ने गिरफ्तार किया था और नवी मुंबई के तलोजा केंद्रीय कारागार में बंद रखा गया था. उन्हें सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया. वह स्वास्थ्य आधार पर जमानत दिए जाने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे.


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