FIFA World Cup: क्रूसेडर्स के रूप में तैयार होकर स्टेडियम पहुंचने वाले अंग्रेजी फुटबॉल प्रशंसकों पर कतर में प्रतिबंधित क्यों?
Crusaders banned in Qatar: फीफा के अधिकारियों ने इस पर कतर का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि मध्यकालीन योद्धाओं की ड्रेस अरब के हिसाब से मुसलमानों के लिए आक्रामक मानी जाती है.

FIFA World Cup Qatar: कतर में चल रहे फीफा विश्व कप में विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा. कभी समलैंगिक लोगों पर प्रतिबंध तो कभी स्टेडियम में शराब के सेवन पर बैन तो कभी कट्टरता फैलाने वाले मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नाइक को निमंत्रण, इन मुद्दों पर खूब हो-हल्ला हुआ. अब नया विवाद सामने आ गया है.
अब कतर की पुलिस ने दो ब्रिटिश फुटबॉल फैंस को अल बैत स्टेडियम में प्रवेश नहीं करने दिया. दोनों ब्रिटिश फैंस, अमेरिका के साथ अपने देश के मैच को देखने के लिए जाना चाहते थे. मैच देखने के लिए जाते समय उन्होंने मध्यकालीन योद्धाओं की तरह कपड़े पहने हुए थे. कतर की पुलिस ने उनकी ड्रेस को जिहादियों की तरह बताकर उन्हें रोक दिया.
क्रूसेडर्स पोशाक छोड़ने की सलाह
टाइम्स ऑफ लंदन की रिपोर्ट के मुताबिक, फीफा की फुटबॉल शासी निकाय ने ब्रिटिश फुटबॉल प्रशंसकों से मध्यकालीन शूरवीरों के गेटअप को छोड़ने के लिए कहा है. ब्रिटिश फुटबॉल प्रशंसकों से कहा गया है कि उन्होंने ढालें और तलवारें नहीं छोड़ी तो गेम छूट जाएगा और वे अपने देश की टीम का समर्थन नहीं कर पाएंगे.
क्यों बैन की गई क्रूसेडर्स पोशाक
फीफा के एक अधिकारी ने कहा कि यह प्रयास भेदभाव मुक्त वातावरण बनाने, संगठन में विविधता को बढ़ावा देने, सभी गतिविधियों और आयोजनों में विविधता को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं. फीफा के अधिकारियों ने इस पर कतर का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि मध्यकालीन योद्धाओं की ड्रेस अरब के हिसाब से मुसलमानों के लिए आक्रामक मानी जाती है. यही कारण है कि भेदभाव विरोधी सहयोगियों ने ब्रिटिश फुटबॉल फैंस ड्रेस बदलने को कहा.
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी
वहीं इस पर ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने देश के फुटबॉल प्रशंसकों को कतर की यात्रा करते समय अपने कार्यों पर ध्यान देने की सलाह दी है. मंत्रालय ने अपने नागरिकों को सलाह दी कि कतर के कानून और रीति-रिवाज यूके से बहुत अलग हैं. इसलिए ये सुनिश्चित जरूर कर लें कि उनके कार्यों से वहां के रीति-रिवाज या कानून का अपमान न हो.
'राइजिंग सन' फ्लैग पर भी विवाद
इससे पहले 'राइजिंग सन' फ्लैग पर भी विवाद हो चुका है. 27 नवंबर को जापान और कोस्टारिका के बीच हुए मैच के दौरान कुछ जापानी समर्थकों द्वारा 'राइजिंग सन' फ्लैग को लहराया गया था. फीफा के अधिकारियों ने जापानी फुटबॉल फैंस को विवादित झंडे को लटकाने और लहराने से रोक दिया था. कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना की ओर से राइजिंग सन ध्वज का उपयोग किया गया था.
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