पूर्व सोवियत देश अर्मेनिया और अज़रबेजान में विवादित नागरनो-काराबख इलाके पर कब्जे को लेकर छिड़ी जंग
एक समय सोवियत संघ का हिस्सा रहे अर्मेनिया और अज़रबेजान में जंग के हालात हो गए हैं. अर्मेनिया में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है. दोनों देशों ने एक दूसरे के हेलीकॉप्टर मार गिराने का दावा किया है.
नई दिल्ली: भारत और चीन की सीमा से करीब चार हजार किलोमीटर दूर कॉकसस रिजन में दो पूर्व सोवियत देशों के बीच जंग छिड़ गई है. ये एशियाई देश हैं, अर्मेनिया और अज़रबेजान जो यूरोप के बेहद करीब हैं. दोनों देशों के बीच एक इलाके पर कब्जे को लेकर लड़ाई छिड़ गई है. दोनों तरफ के हमले में दोनों देशों के सैनिकों के मारे जाने से लेकर टैंक, ड्रोन और हेलीकॉप्टर्स के मार गिराए जाने की खबर है.
अर्मेनिया और अज़रबेजान, दोनों ही पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे. लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश आजाद हो गए. अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागरनो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया. दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर को अज़रबेजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है.
इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है. वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है. दोनों देशों के बीच तभी से 'लाइन ऑफ कंटेक्ट' है. लेकिन इस साल जुलाई के महीने से हालात खराब हो गए हैं. इस इलाके को 'अर्तसख' के नाम से भी जाना जाता है.
27 सितंबर यानि रविवार को अर्मेनिया के प्रधानमंत्री, निकोल पशनयिन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि अज़रबेजान ने अर्तसख पर एरियल-अटैक और मिसाइल से हमला किया है जिससे रिहायशी इलाकों को नुकसान पहुंचा है. निकोल पशनयिन के मुताबिक, अर्मेनिया ने जवाबी कारवाई करते हुए अज़रबेजान के दो हेलीकॉप्टर, तीन यूएवी और दो टैंकों को मार गिराया है. अर्मेनियाई हमले में अज़रबेजान के टैंकों पर हुए हमले का वीडियो भी सामने आया है. इसके बाद अर्मेनियाई प्रधानमंत्री ने देश में मार्शल-लॉ लागू कर पूरे सेना को 'मोबिलाइज' करने का आदेश दे दिया.
आपको बता दें कि इसी साल मार्च के महीने में अर्मेनिया ने भारत से 'स्वाथी' वैपन लोकेशन रडार खरीदने का सौदा किया था. करीब तीन हजार करोड़ रूपये के इस सौदे में अर्मेनिया ने चार रडार सिस्टम भारत से खरीदे हैं. डीआरडीओ और बीईएल द्वारा तैयार की गई 'स्वाथी' एक वैपन लोकेटिंग रडार है जो दुश्मन की तरफ से दागे जाने वाले रॉकेट, मोर्टार और दूसरी फायरिंग की सही सही लोकेशन बता देती है जिससे दुश्मन की गन-पॉजिशन यानी तोप या किसी दूसरी मिसाइल सिस्टम की सही सही लोकेशन दागकर तबाह कर दिया जाता है. इसकी रेंज करीब 50 किलोमीटर है. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि ये रडार सिस्टम भारत ने सौंप दिए हैं या नहीं.
दूसरी तरफ अज़रबेजान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर अर्मेनिया पर हमला करने का आरोप लगाया और बताया कि अर्मेनिया ने नागरनो-काराबख इलाके पर गैर-कानूनी कब्जा कर रखा है. बयान में कहा गया कि अर्मेनिया के हमले में अज़रबेजान के सैनिकों और नागरिकों को बड़ा नुकसान हुआ है. मौजूदा लड़ाई के लिए अज़रबेजान ने अर्मेनिया के राजनैतिक-नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है.
इस बीच तुर्की भी दोनों देशों के बीच कूद पड़ा है और इस लड़ाई में अज़रबेजान को समर्थन देना का वादा किया. तुर्की के विवाद में कूदने से कॉकस-रिजन में हालात और खराब हो सकते हैं. इस बीच ऑर्गेनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटी एंड कॉपरेशन इन यूरोप (मिनस्क ग्रुप) ने दोनों देशों को दुश्मनी छोड़कर बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने का आग्रह किया है.