(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'हमारा मुल्क LGBT डेस्टिनेशन वेडिंग हब...', इंडिया के पक्के दोस्त देश में सेम सेक्स मैरिज को इजाजत मिलते ही गे कपल ने कर ली शादी
अमेरिकी नागरिक जोसेफ और नेपाल के रहने वाले प्रजीत ने पहले ईसाई पादरी की मौजूदगी में एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई और फिर वेदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न हुआ.
भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन पड़ोसी मुल्क नेपाल ने पिछले साल ही इसके लिए अनुमति दे दी थी. गुरुवार (11 अक्टूबर, 2024) को नेपाल के एक गे कपल ने समलैंगिक शादी भी कर ली है. नेपाल के रहने वाले प्रजीत बुद्धाथोकी और अमेरिका के जोसेफ फोस्टर काठमांडू में शादी करने वाले पहले गे कपल हैं. ये नेपाल में पहली समलैंगिक शादी है.
जोसेफ और प्रजीत की शादी 'माया को पहचान' एनजीओ ने करवाई है. यह एनजीओ एलजीबीटी कम्युनिटी के लिए काम करता है और इसके प्रमुख सुनील बाबू पांता हैं. सुनील बाबू नेपाल की संसद के पहले गे मेंबर हैं. 50 लोगों की मौजूदगी में यह शादी हुई, जिनमें एलजीबीटी कम्युनिटी के सदस्य, परिवार के लोग और मीडिया पर्सन शामिल हैं. ईसाई और हिंदू धर्म के रीति-रिवाज से यह शादी हुई.
जोसेफ और प्रजीत ने पहले ईसाई पादरी की मौजूदगी में एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई और फिर वेदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न हुआ. पहले समलैंगिक विवाह पर सुनील बाबू पांता ने कहा कि यह नेपाल के लिए ऐतिहासिक क्षण है, जिसमें एक नेपाली लड़के की विदेशी लड़के से शादी हुई है. उन्होंने कहा कि नेपाल सेम सेक्स मैरिज के लिए डेस्टिनेशन वेडिंग का हब न सकता है और इस तरह नेपाल टूरिज्म भी प्रोमोट होगा. जोसेफ और प्रजीत ने सोमवार को अपनी शादी को पूर्वी नेपाल के सुनसारी जिले की धारण सब-मेट्रोपॉलिटन सिटी में शादी को रजिस्टर करवाया और उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट भी मिल चुका है.
भारत में समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं
भारत में भी समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी मान्यता की मांग को लेकर याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चली. हालांकि, कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि यह विधायिका का अधिकार क्षेत्र है. संसद को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए मामले में फैसला करना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ समेत पांच जजों की पीठ ने 3-2 से यह फैसला सुनाया. हालांकि, सीजेआई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक कपल को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया, लेकिन इस पर भी सभी जजों में सहमति नहीं बन पाई.
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