Russia-Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रुस की सत्ता से बेदखल करने का आहवान कर रहे हो, लेकिन हकीकत ये है कि रुस की जनता पुतिन को ना केवल बेहद चाहती है, बल्कि यूक्रेन के खिलाफ उनके स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन्स का जबरदस्त समर्थन भी करती है. यूक्रेन सीमा से सटे रुस के बेलगोरोड इलाके में ना केवल जगह जगह 'फॉर पुतिन' हैशटैग के झंडे लगे हैं बल्कि स्थानीय लोगों की भी वे पहला पसंद हैं.


देश की जनता के बीच लोकप्रिय हैं पुतिन


मास्को से करीब 700 किलोमीटर दूर यूक्रेन सीमा से सटे बेलगोरोड शहर से खारकीन शहर की तरफ जैसे ही एबीपी न्यूज की टीम निकली तो रास्ते में रुसी सेना के खैस 'जेड' (Z) निशाल वाले रुसी झंडे तो दिखे लेकिन उनपर एक खास हैशटैग भी था. रुस के राष्ट्रीय झंडे वाले सफेद, नीला और लाल झंडे पर 'फॉर पुतिन' कै हैशटैग भा छपा था. बेलगोरोड शहर से यूक्रेन के खारकीव इलाके तक जगह जगह ऐसे झंडे दिखाई पड़े. ये झंडे दिखाते हैं कि रुस के राष्ट्रपति व्लादिमार पुतिन अपनी देश की जनता के बीच कितना लोकप्रिय हैं. पुतिन की लोकप्रियता का अंदाजा स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चल जाता है.


दरअसल, एबीपी न्यूज की टीम यूक्रेन के खारकोव यानि खारकीव से सटे रुस के उन इलाकों में जाना चाहती थी जहां सीमावर्ता गांवों को यूक्रेन की बमबारी में नुकसान पहुंचा था. यही वजह है कि एबीपी न्यूज ने यहां अलग-अलग लोगों से इस बावत बातचीत की. रुस के सीमावर्ती इलाकों के लोगों ने साफ तौर से मौजूदा जंग के लिए अमेरिका और नाटो को जिम्मेदार ठहराया. रुसी जनता यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेनेस्की का एक कॉमेडियन के तौर पर मजाक तो उड़ाती है लेकिन मौजूदा विवाद के लिए वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन को ज्यादा जिम्मेदार मानती है. रुसी जनता का मानना है कि अमेरिका पैट्रो-डॉलर के चलते यूक्रेन को बलि का बकरा बना रहा है.


क्या कहते हैं स्थानीय लोग?


यूक्रेन से सटी सीमा पर रुस के गांव वालों की मानें तो इस युद्ध से पहले तक रुस और यूक्रेन लगभग एक जैसे ही थे. दोनों देशों के बीच शादी-विवाह होते थे. लेकिन यूक्रेन के कॉमेडियन राष्ट्रपति ने अमेरिका और नाटो के बहकावे में आकर रुस से संबंध खराब कर लिए हैं. यूक्रेन की सीमा पर रहने वाले अंग्रेजी की टीचर, यूलिया का कहना है कि बचपन में वे यूक्रेन आती जाती रहती थी. उनकी आंटी भी यूक्रेन में रहती थी. लेकिन अब विवाद के चलते वे वहां नहीं जा पाती है, जिसके कारण वे बेहद निराश हैं. वे खुद मानती है कि अब स्थिति बहुत खतरनाक है. वे अपने बच्चो को लेकर बेहद चिंतित है. उन्हें यूक्रेन में अमेरिका की मदद से यूक्रेन में चल रहे बायो-वॉर को लेकर बेहद चिंतित है. लेकिव वे आने वाले समय में दोनों देशों के बेहतर भविष्य की कामना करती हैं. 


पिछले एक महीने से यूक्रेन की सीमा पर सेना की गाड़ियों और हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट से बेहड डरी रहती हैं. क्योकि कुछ दिनों पहले यूक्रेन से सटे रुसी गांवों में भी बमबारी हुई थी. यूक्रेन सीमा पर रहने वाली 43 साल की सामाजिक कार्यकर्ता, इतिस्ता भारत और भारतीयों को अपना मित्र मानती हैं. वे यूक्रेन को आज भी रुस का ही हिस्सा मानती हैं. इतिस्ता इस विवाद और जंग को यूक्रेन की सरकार को जिम्मेदार मानती हैं. वे मानती हैं कि यूक्रेन में एक नाजी और फा‌सिस्ट सरकार है जिसके खिलाफ द्वितीय विश्ववयुद्ध में रुस और यूक्रेन के पूर्वजों ने साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी.


यूक्रेन से रुस आने वाले शरणार्थियों को लेकर चिंता में स्थानीय लोग


इतिस्ता यूक्रेन से रुस आने वाले शरणार्थियों को लेकर भी बेहद चिंतित हैं. वे कहती हैं कि रुसी सेना सिर्फ यूक्रेन के सैनिक और उनकी छावनियों को ही निशाना बना रहे हैं, मासूम लोगों पर हमला नहीं किया जा रहा है जैसा पूरी दुनिया दिख रही है. वे भी खारकीव में कैमिकल और बायोलॉजिकल लैब को लेकर चिंतित हैं जो लाखों लोगों की जान ले सकते हैं. इतिस्ता कहती हैं कि यूक्रेन की सेना सीमावर्ती रुस के गांव को निशाना बना रही है, जो ठीक नहीं है. यूक्रेन से सटे एक ऐसे ही गांव की रहने वाली 70 साल की हेलिना कहती हैं कि वे उनका भी उसी साल जन्म हुआ था जब रुसी राष्ट्रपति पुतिन का जन्मदिन हुआ था. उन्होनें वो समय देखा है जब रुस और यूक्रेन एक ही देश थे‌. लेकिन आज दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर बेहद निराश हैं.


हेलिना बिना हिचकिचाहट के लिए यूक्रेन से खराब संबंध को लिए अमेरिका और अमेरिका के राष्ट्रपति को जिम्मोदार मानती हैं. वे यूक्रेन के राष्ट्रपति को भा एक कॉमेडियन से ज्यादा कुछ नहीं मानती हैं. मास्को में प्राईवेट टैक्सी चलाने वाले, यूरी इनदिनों अपने पैतृक घर अपना मां से मिलने आए हैं. उनकी टैक्सी पर रुसी सेना को समर्थन करने वाला जेड का निशान बना है. यूरी अमेरिका पर बेहद गुस्सा हैं और उसके चलते बैनर लेकर अपनै विरोध जताते हैं. यूरी का कहना है कि रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका के पैट्रो-डॉलर का बहिष्कार कर दिया है उसी के चलते रुस खफा है और यूक्रेन को रुस के खिलाफ भड़का रहा है. वे ईराक के राष्ट्रपित सद्दाम हुसैन और लीबिया के प्रमुख नो कर्नल गद्दाफी का मारा जाना भा अमेरिकै की इस तरह की साजिश मानतो हैं. उन्हें पुतिन की सत्ता में पूरी भरोसा है और मानते हैं कि पुतिन अमेरिका को सबक सिखाने में सक्षम है.


बेलगोरोड की राजनीति में रुचि रखने वाली तानिया मानती हैं कि आने वाले समय में स्थिति सुधर जाएगी और दोनों देशों के बीच संबंध सुधर सकते हैं. वे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को इस जंग के लिए जिम्मेदार नहीं मानता हैं. वे भी भारत को अपना मित्र मानता हैं और इसके चलते ही युद्ध के दौरान सीजफायर का आदेश देकर भारतीय छात्रों को इस बॉर्डर से निकालनो पर विचार किया गया था.


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