Flour Price Hike Singapore: भारत में गेहूं निर्यात पर मई से प्रतिबंध लागू (Whet Export Ban India) होने का असर सिंगापुर (Singapore) के भोजनालयों में दिखाई दे रहा है. मंगलवार को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि खासतौर से रोटी पसंद करने वाले पंजाबी समुदाय को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. बताया गया कि यूक्रेन में युद्ध के बीच अन्य देशों से गुणवत्ता प्रधान उत्तर भारतीय मूल खाद्य सामग्री के समान के आयात पर लागत तीन गुना बढ़ गई है. 


दूसरे देशों से आटा मंगवाने को मजबूर


सुपरमार्केट चेन फेयरप्राइस ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में मांग बढ़ने के कारण गेहूं के आटे की आपूर्ति कम रही है. भारत में गेहूं और आटे के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण ये स्थिति हो सकती है. द स्ट्रेट्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेयरप्राइस के आपूर्तिकर्ता श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विभिन्न देशों से गेहूं का आटा मंगवा रहे हैं.


'आटे की कमी व्यापार को प्रभावित कर रही'


प्रमुख भोजनालयों में से एक, सकुंथला के प्रबंध निदेशक मथवन आदि बालकृष्णन ने कहा, "(गेहूं) आटे की कमी हमारे व्यापार को बहुत बुरी तरह प्रभावित करेगी. हम अपने ग्राहकों को सारी लागत नहीं दे सकते हैं, हमें कीमतों को कम रखने की कोशिश करनी होगी."


उन्होंने बताया कि रेस्टोरेंट को भारत से गेहूं के आटे के लिए पांच सिंगापुर डॉलर (3.48 अमेरिकी डॉलर) प्रति किलो का भुगतान करना पड़ता था, लेकिन अब दुबई से आने वाला आटा 15 सिंगापुर डॉलर (10.45 अमेरिकी डॉलर) प्रति किलो है.


संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार सिंगापुर सालाना 2-2.5 लाख टन गेहूं और 1-1.2 लाख टन गेहूं के आटे का आयात करता है. द बिजनेस टाइम्स ने बताया कि 2020 में, सिंगापुर के कुल गेहूं के आटे का 5.8 प्रतिशत भारत से आयात किया गया था.


चपाती, पूरी भाजी और तंदूरी आइटम मेनू कार्ड से हटे


भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक. भारत ने मई में अनाज और उसके आटे का निर्यात बंद कर दिया था, ताकि गर्मी की वजह से फसलों और गेहूं की आपूर्ति प्रभावित होने के बाद घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी पर रोक लगाई जा सके. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूक्रेन के गेहूं निर्यात में कटौती के बीच यह प्रतिबंध लगाया गया. यूक्रेन दुनिया में गेहूं का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता हुआ करता था, जिसका वैश्विक गेहूं व्यापार का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा था. कुछ भोजनालयों ने चपाती, पूरी भाजी और तंदूरी जैसे मेनू आइटम को हटा दिया है, क्योंकि इन सभी को बनाने के लिए गेहूं के आटे की आवश्यकता होती है.


पंजाबी और बंगाल के भोजनालय मस्टर्ड सिंगापुर की मालिक 51 वर्षीय राधिका अब्बी ने कहा कि भारत से अपने मौजूदा आटे के स्टॉक खत्म होने के बाद यहां कई भारतीय भोजनालयों को उच्च लागत से जूझना होगा. वह गेहूं के आटे के लिए SGD 2 (USD 1.39) प्रति किलो का भुगतान करती थी, लेकिन अब वह SGD 8 (USD 5.57) के करीब भुगतान करने की सोच रही हैं. अब्बी ने कहा कि उसके भोजनालय की चपाती की गुणवत्ता और बनावट प्रभावित होगी जब उसे गेहूं के आटे के दूसरे स्रोत पर स्विच करने के लिए मजबूर किया जाएगा.


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