विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति के जरिये करना चाहिए, बोले एस. जयशंकर
एस. जयशंकर ने ब्रिक्स सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए और आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रुख होना चाहिए.
संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटने को आज के समय की विशेष जरूरत बताते हुए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार (24 अक्टूबर, 2024) को कहा कि विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति के जरिये करना चाहिए और एक बार सहमति बन जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए.
एक अधिक समतामूलक वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए पांच सूत्री मंत्र देते हुए जयशंकर ने वैश्विक अवसंरचना में विकृतियों को सुधारने पर जोर दिया जो औपनिवेशिक कालखंड की विरासत हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के साथ यह किया जाना चाहिए. जयशंकर ने रूस के कजान में ब्रिक्स के आउटरीच सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शामिल होते हुए यह बात कही. सम्मेलन के मेजबान रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन हैं.
उन्होंने कहा, 'हम कठिन परिस्थितियों में मिल रहे हैं. विश्व को दीर्घकालिक चुनौतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए. हमारा यहां एकत्रित होना इस बात का संदेश है कि हम ऐसा करने के लिए वाकई तैयार हैं.' जयशंकर ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा, 'यह युद्ध का युग नहीं है.'
विदेश मंत्री ने कहा, 'संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की विशेष जरूरत है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि यह युद्ध का युग नहीं है. विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति से निकाला जाना चाहिए. एक बार सहमति हो जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए.'
उन्होंने ब्रिक्स सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए और आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रुख होना चाहिए. विदेश मंत्री ने कहा, 'पश्चिम एशिया में चिंता के हालात को समझा जा सकता है.' उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में संघर्ष और फैलने को लेकर व्यापक चिंताएं हैं. ब्रिक्स सम्मेलन के अंतिम दिन यहां आउटरीच/ब्रिक्स प्लस बैठक आयोजित की गई. सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और दुनियाभर के 20 से अधिक नेताओं ने भाग लिया. जयशंकर ने इस बात की ओर संकेत दिया कि ब्रिक्स फोरम को यह समझना होगा कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं, कोविड महामारी और अनेक संघर्षों ने वैश्विक दक्षिण के बोझ को बढ़ा दिया है और स्वास्थ्य, खाद्य तथा ईंधन सुरक्षा को लेकर चिंताएं विशेष रूप से चिंताजनक हैं.
उन्होंने पांच ठोस सुझाव देते हुए कहा, 'हम इस विरोधाभास को कैसे सुलझा सकते हैं? हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं?' उन्होंने कहा, 'श्विक बुनियादी ढांचे में औपनिवेशिक युग से विरासत में मिलीं विकृतियों को सुधारकर, दुनिया को तत्काल अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की आवश्यकता है जो साजो-सामान को बढ़ाएं और जोखिमों को कम करें.'
जयशंकर ने कहा, 'यह सभी की भलाई के लिए एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए, जिसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का अत्यधिक सम्मान हो.' उन्होंने स्वतंत्र प्रकृति के बहुपक्षीय मंचों को मजबूत करने और उनका विस्तार करने का सुझाव दिया और स्थापित संस्थानों और तंत्रों, विशेष रूप से स्थायी और अस्थायी श्रेणियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार के भारत के अक्सर अपनाए गए रुख को दोहराया.
विदेश मंत्री ने आलोचनात्मक लहजे में कहा कि ऐसे संस्थानों की कार्य प्रक्रियाएं संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी हैं.
विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के लिए भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अन्य पहलों की पेशकश करते हुए जयशंकर ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य आपात स्थितियों या आर्थिक संकट के समय भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया देकर अपनी उचित भूमिका निभाने का प्रयास करता है.
सरकारी तास समाचार एजेंसी के अनुसार, आउटरीच/ब्रिक्स प्लस एक विस्तारित प्रारूप है, जिसमें 10 से अधिक ब्रिक्स सदस्य शामिल हैं. बैठक में लगभग 40 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें कई स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस), एशियाई, अफ्रीकी, पश्चिम एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों के नेता शामिल थे.