नई दिल्ली: आतंकी, मौलाना मसूद अज़हर पर भारत को एक पूर्व चीनी राजनयिक का समर्थन मिला है. एक समय भारत में चीन के पूर्व राजनयिक रहे माओ सिवे ने कहा है कि चीन को मसूद अजहर पर अपने मत को बदलना चाहिए. यूएन से मसूद अजहर को आतंकी घोषित करवाने की भारत की कोशिशों को चीन हर बार अपने वीटो पावर से नाकाम करता आया है. मामले पर 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 14 देश भारत के साथ हैं, इकलौता चीन मसूद अजहर को बचा रहा है. ऐसे में सुवे का ये बयान भारत की स्थिति को मजबूत करने वाला है.

ब्लॉग के जरिए चीनी राजनयिका का भारत को समर्थन

सुवे का कहना है कि मसूद अजहर को यूएन से आतंकी घोषित करने में चीन के अड़ंगे से भारत-चीन संबंध प्रभावित हो रहे हैं. चीन को मसूद के खिलाफ भारत की शिकायत का फायदा उठाना चाहिए. वे आगे कहते हैं कि पठानकोट हमले के सबूतों के आधार पर उन्हें लगता है कि चीन को यूएन में अजहर पर लिए जा रहे अपने स्टैंड पर विचार करना चाहिए और इसे सुधारना चाहिए. वे आगे कहते हैं कि सवाल ये है कि क्या अजहर आतंकवादी है? तो इसका सीधा उत्तर है हां! सिवे ने ये सब एक ब्लॉग में लिखा है. उन्होंने इसमें आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का भी ज़िक्र किया है.

भारत के प्रयासों पर चीन दो बार फेर चुका है पानी

पिछले साल 31 मार्च को भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अज़हर को आतंकी घोषित कराने अपील की थी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से 14 देशों ने भारत का समर्थन किया था. सिर्फ चीन इकलौता देश था जिसने अपने वीटो का इस्तेमाल कर मौलाना मसूद अज़हर को आतंकी घोषित होने से बचा लिया था. फिर 30 दिसंबर को भारत ने दोबारा कोशिश की लेकिन चीन ने फिर अपने वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा डाल दिया. इसके बाद भारत ने चीन पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में चीन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया.

कौन है अज़हर!

ये वही मौलाना मसूद अज़हर है जिसे 1999 में हाईजैक किए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के बदले छोड़ा गया था. ये आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया है. संसद, पठानकोट एयरबेस और उरी आर्मी कैंप हमलों सहति कई दूसरे आतंकी हमलों का ये मास्टरमाइंड है.