Maldives : मालदीव में 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाने वाले और रिश्वतखोरी के मामले में सजा काट रहे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को वहां की हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया है. 21 अप्रैल को मालदीव में संसदीय चुनावों से पहले कोर्ट का यह फैसला आया है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. यामीन 480 दिनों से भ्रष्टाचार के मामलों में सजा काट रहे थे. हालांकि, उन्हें रैली करने के लिए छूट दी जा रही थी. बता दें कि यामीन की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) विपक्षी गठबंधन का हिस्सा थी, जिसने भारत विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने के लिए 'इंडिया आउट' अभियान शुरू किया था. यामीन ने ही भारत के खिलाफ नकारात्मकता फैलाई और खुद को सजा मिलने के बाद मोहम्मद मुइज्जू को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया.


यामीन पर क्या था आरोप
480 दिनों से सजा काट रहे यामीन पर रिश्वत लेने का आरोप था. कोर्ट ने यामीन को रिसॉर्ट लीज लेनदेन में 1.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत लेने और उसे वैध बनाने का दोषी पाया था. अदालत ने 25 दिसंबर 2022 को उन्हें 11 साल जेल की सजा सुनाई और 5 मिलियन डॉलर का जुर्माना भी लगाया था. इस सजा के खिलाफ यामीन ने मार्च 2023 में अपील की. इस पर फिर से सुनवाई जून 2023 में शुरू हुई. बाद में कोर्ट ने सभी आदेशों को पलट दिया. कोर्ट ने फिर से नए सिरे से पक्ष रखने और मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. 


रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल मोहम्मद मु्इज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद अब्दुल्ला यामीन को जेल से निकालकर उनके घर में कथित तौर पर नजरबंद भी कर दिया गया था. हालांकि, इसके बावजूद वह सार्वजनिक रैलियों को संबोधित कर रहे थे. अब कोर्ट ने यामीन को रिहा करते हुए कहा कि वावु आरा द्वीप के पट्टे में रिश्वतखोरी के मामले में फिर से मुकदमा चलाया जाएगा.


राष्ट्रपति मुइज्जू पर साधा निशाना
यामीन ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए एक दिन पहले ही राष्ट्रपति मुइज्जू पर निशाना साधा था. यामीन ने कहा, एमडीपी से ज्यादा मुइज्जू नहीं चाहते हैं कि उन्हें रिहा किया जाए. हालांकि अब 21 अप्रैल को चुनाव से पहले उनके पक्ष में कोर्ट का फैसला आया. 


इंडिया आउट का चलाया था कैंपेन
यामीन ने ही मालदीव में 'इंडिया आउट' का कैंपेन चलाया था. उन्होंने भारत के खिलाफ नकारात्मकता फैलाई और खुद को सजा मिलने के बाद मोहम्मद मुइज्जू को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया. यामीन के शासन में मालदीव के भारत के साथ संबंध खराब हो गए थे, क्योंकि वह बेल्ट एंड रोड पहल पर हस्ताक्षर और बीजिंग के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करके चीन के करीब आ गया था, जिससे भारत के साथ संबंध खराब होते चले गए.