Sri Lanka Crisis: श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इस बीच, कोलंबो में श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारत की ओर से की जा रही मदद का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत ने सबसे ज्यादा मदद ही है, हमें देखना होगा और वे अभी भी गैर-वित्तीय तरीके से मदद कर रहे हैं, इसलिए हमें उनका आभारी होना चाहिए. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास इतने संसाधन हैं और अब वे बिल का भुगतान करने के लिए प्रमुख निर्यात कंपनियों से पैसे उधार ले रहे हैं. ईंधन के लिए भारत की क्रेडिट लाइन मई के दूसरे सप्ताह तक खत्म हो जाएगी और फिर हम गंभीर संकट में पड़ने वाले हैं."
कर्ज चुकाने के लिए पैसा था- पूर्व पीएम
पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, "आर्थिक संकट ने राजनीतिक संकट को जन्म दिया है. जो हो रहा है वह देश के लिए आपदा है. 2 साल तक सरकार ने आर्थिक मुद्दों की अनदेखी की. जब हम 2019 में चले गए, तो प्राथमिक बजट पर सरप्लस था और कर्ज चुकाने के लिए पैसा था. सरकार ने अर्थव्यवस्था पर नजर नहीं रखी. उन्हें कई बार आईएमएफ में जाने के लिए कहा गया था. उन्होंने सेंट्रल बैंक और ट्रेजरी की सलाह पर नहीं जाने का फैसला किया. लोग अब कीमत चुका रहे हैं. यह समझ में आता है कि वे सरकार में बदलाव चाहते हैं."
कोई भारी चीनी निवेश नहीं हुआ- पूर्व पीएम
विक्रमसिंघे ने कहा, "इस सरकार के अंतर्गत कोई भारी चीनी निवेश नहीं हुआ. उन्होंने निवेश की मांग की है, लेकिन निवेश नहीं आया है. मुझे लगता है कि लोन के पुनर्भुगतान (repayment) के पुनर्निर्धारण के बारे में चर्चा चल रही है. उन्हें चीन की सरकार से बात करनी है, मुझे बस इतना ही पता है."
बता दें कि श्रीलंका में महंगाई ने आसमान छू लिया है. आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंका में फलों और सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं. इस बीच, भारत के विभिन्न ब्रांडों से सब्जियों और दैनिक राशन की वस्तुओं को कोलंबो के कई हिस्सों में वितरण के लिए ले जाया जा रहा है.
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